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खाचरोद-नागदा सीट पर वोट चोरी का आरोप: पूर्व विधायक दिलीप गुर्जर ने बीजेपी पर लगाए गंभीर सवाल, कहा- “2013 से चल रहा है खेल, 2023 में नतीजे पहले से तय थे”
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन जिले की खाचरोद-नागदा विधानसभा सीट पर मतदाता सूची और चुनाव परिणाम को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था और इसे वोट चोरी का बड़ा मॉडल बताया था। इसी कड़ी में कांग्रेस के तीन बार के विधायक रहे दिलीप गुर्जर ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए दावा किया है कि इस सीट पर वर्षों से मतदाता सूची में हेराफेरी और फर्जी वोटिंग का खेल चलता आ रहा है।
राहुल गांधी का आरोप: “देशभर में लागू हुआ वोट चोरी का मॉडल”
7 अगस्त को राहुल गांधी ने दिल्ली में एक प्रेजेंटेशन दिया, जिसमें उन्होंने कर्नाटक की वोटर लिस्ट दिखाते हुए आरोप लगाया कि लाखों फर्जी वोट डाले गए और वोट चोरी कर चुनाव परिणाम प्रभावित किए गए। राहुल ने कहा कि यह मॉडल सिर्फ कर्नाटक में नहीं, बल्कि देश की कई विधानसभा और लोकसभा सीटों पर अपनाया गया।
गुर्जर का बड़ा दावा: “2013 में अचानक 36 हजार वोटर बढ़े, 10 हजार नाम कटे”
दिलीप गुर्जर ने कहा कि जब 2013 में नरेंद्र मोदी को पांच राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसी साल नागदा-खाचरोद विधानसभा की वोटर लिस्ट में 36 हजार नए वोटर जोड़ दिए गए और 10 हजार नाम हटा दिए गए।
गुर्जर के मुताबिक, “इसी वजह से मैं उस चुनाव में 16 हजार वोट से हार गया।”
इसके बाद 2018 के चुनाव से पहले उन्होंने एक निजी एनजीओ से घर-घर जाकर वोटर लिस्ट की जांच करवाई। इसमें हजारों फर्जी वोटर सामने आए, जिनमें कई जगह एक ही पते पर कई नाम दर्ज थे। शिकायत करने पर बड़ी संख्या में नाम काटे गए और गुर्जर को चुनाव में 5 हजार वोट से जीत मिली।
2018 में घटे वोटर, कई बूथों पर गड़बड़ी
गुर्जर ने दावा किया कि 2018 में कुल मतदाताओं की संख्या केवल 18 हजार बढ़ी, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि 6 पोलिंग बूथ पर वोटर बढ़ने की बजाय घट गए।
उनका कहना है कि उस समय 65 पोलिंग बूथ ऐसे थे, जिनमें महज 1 से 50 वोटर ही बढ़े। इस पर उन्होंने चुनाव आयोग को शिकायत दी थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
2023 का सबसे बड़ा विवाद: नतीजे आने से पहले ही सोशल मीडिया पर पोस्ट
गुर्जर ने 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर एक और बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पूर्व मंडल अध्यक्ष ने परिणाम आने से दो दिन पहले ही, 30 नवंबर को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर जीत-हार के आंकड़े बता दिए थे।
📌 उस पोस्ट में लिखा था:
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डॉ. तेजबहादुर सिंह चौहान (बीजेपी) – 93,000 वोट
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दिलीप सिंह गुर्जर (कांग्रेस) – 77,000 वोट
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निर्दलीय उम्मीदवार – 8,364 वोट
चौंकाने वाली बात यह रही कि जब 3 दिसंबर को आधिकारिक नतीजे आए तो आंकड़े लगभग पोस्ट से मेल खाते थे।
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बीजेपी प्रत्याशी तेजबहादुर सिंह को मिले 93,552 वोट (यानी पोस्ट से सिर्फ 552 वोट ज्यादा)
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कांग्रेस प्रत्याशी दिलीप गुर्जर को मिले 77,625 वोट (पोस्ट से मात्र 625 वोट का अंतर)
इस खुलासे के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर बीजेपी पर चुनाव परिणाम पहले से तय करने का आरोप लगाया था।
कांग्रेस का आरोप: “मतदाता सूची में हेराफेरी से बदले जाते नतीजे”
दिलीप गुर्जर का कहना है कि यह कोई संयोग नहीं, बल्कि योजनाबद्ध साजिश है। “2013 में मतदाता संख्या अचानक बढ़ाई गई, 2018 में बूथों पर मतदाता घटाए गए और 2023 में परिणाम आने से पहले ही बीजेपी नेताओं को आंकड़े पता थे। यह सब बिना सिस्टम के सहयोग के संभव ही नहीं है।”
अब राहुल गांधी तक पहुंचा मामला
गुर्जर अब इस पूरे मामले को राहुल गांधी तक पहुंचा रहे हैं। उनका कहना है कि मध्य प्रदेश में भी वोट चोरी का वही मॉडल लागू हुआ है, जिसकी ओर राहुल ने इशारा किया था। कांग्रेस अब इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाने की तैयारी में है।