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देश में पहली बार: 5 वकीलों की वकालत पर रोक, उज्जैन में पत्रकार पर हमले के केस में हुई कार्रवाई; कोर्ट ने वकीलों को सुनाई सजा, बार काउंसिल ने डिग्री छीनी!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन में पत्रकार पर हुए हमले के 16 साल पुराने मामले में आखिरकार बड़ा एक्शन सामने आया है। स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश ने उन पांच वकीलों की वकालत की डिग्री (सनद) निलंबित कर दी है, जिन्हें हाल ही में अदालत ने दोषी ठहराया था। माना जा रहा है कि यह देश में पहली बार है, जब एक साथ पांच अधिवक्ताओं की सनद निलंबित की गई हो।
2009 में हुआ था हमला
10 फरवरी 2009 को उज्जैन में पत्रकार घनश्याम पटेल पर पांच वकीलों ने कोर्ट परिसर में लाठी-डंडों, कुर्सियों और लोहे की छड़ों से हमला कर दिया था। उस वक्त पटेल एक मामले में गवाही देने पहुंचे थे। हमले के दौरान उनकी रिवॉल्वर, चेन और घड़ी भी छीन ली गई। बुरी तरह घायल पत्रकार को पहले उज्जैन के संजीवनी अस्पताल और बाद में इंदौर के गोकुलदास अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वे करीब 15 दिन तक इलाज के बाद ठीक हो पाए।
पत्रकार घनश्याम पटेल ने एक तलाक मामले पर खबर प्रकाशित की थी। उसी केस में अधिवक्ता धर्मेंद्र शर्मा पक्षकार की ओर से पैरवी कर रहे थे। जब उन्हें पता चला कि पटेल कोर्ट में गवाही देंगे, तो पहले उन्हें धमकाने की कोशिश की गई। लेकिन जब वह गवाही देने पहुंचे, तो पांचों आरोपियों ने मिलकर उन पर जानलेवा हमला कर दिया।
16 साल लंबी चली कानूनी लड़ाई
हमले के बाद पत्रकार की शिकायत पर उज्जैन पुलिस ने धर्मेंद्र शर्मा, शैलेन्द्र शर्मा, सुरेंद्र शर्मा (90 वर्षीय), भवेंद्र शर्मा और पुरुषोत्तम राय—all वकील—के खिलाफ मामला दर्ज किया। केस के दौरान आरोपियों ने बार-बार गवाहों को प्रभावित करने और जजों के तबादले तक की कोशिशें कीं। मामले की गंभीरता देखते हुए हाईकोर्ट ने इसे उज्जैन से इंदौर ट्रांसफर कर दिया। आखिरकार 28 अगस्त 2025 को इंदौर जिला अदालत ने पांचों आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
अदालत ने चार वकीलों को सात साल का सश्रम कारावास और ₹10,000 का जुर्माना लगाया। वहीं, उम्रदराज 90 वर्षीय सुरेंद्र शर्मा को तीन साल की सामान्य कैद की सजा दी गई।
बार काउंसिल का सख्त रुख
फैसले के बाद स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश ने इन पांचों वकीलों की वकालत की सनद तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी। काउंसिल के चेयरमैन राधेलाल गुप्ता और उपाध्यक्ष आर.के. सिंह सैनी ने कहा कि आपराधिक प्रवृत्ति वाले अधिवक्ताओं को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
वाइस चेयरमैन ने साफ कहा – “यह देश का पहला मामला हो सकता है, जिसमें पांच वकीलों को एक साथ दोषी करार देकर सजा सुनाई गई है और उनकी सनद निलंबित की गई है। काला कोट अपराध की आड़ नहीं बन सकता। बार काउंसिल आगे भी ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाएगी।”
बार काउंसिल ने यह भी माना कि कई जगहों पर अपराधी मानसिकता वाले लोग वकालत की आड़ में गलत गतिविधियों में लिप्त हैं। अब परिषद ऐसे सभी मामलों में निगरानी और कड़ी कार्रवाई करेगी।