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महाकाल मंदिर में पहली बार आरती से पहले बजेगी ‘भक्ति बैंड’ की धुन — भजन और मंत्रों की गूंज में डूबेगा पूरा परिसर
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
श्री महाकालेश्वर मंदिर में अब आरती से पहले भक्तों को एक नया और दिव्य अनुभव मिलने वाला है। देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में यह पहला अवसर होगा जब मंदिर में “भक्ति बैंड” की मधुर धुनों के साथ भगवान महाकाल की आरती की तैयारी होगी। मंदिर प्रशासन ने इस नए प्रयोग की तैयारियां पूरी कर ली हैं और दीपावली तक इसे शुरू करने की योजना है।
मंदिर का होगा खुद का ‘महाकाल बैंड’
मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि महाकाल मंदिर समिति एक स्थायी बैंड दल तैयार कर रही है, जिसमें 21 से 30 कलाकार शामिल होंगे। यह दल रोजाना मंदिर में होने वाली आरतियों से पहले भक्ति गीत, शिव स्तुति और मंत्रों की प्रस्तुति देगा। फिलहाल बैंड की प्रैक्टिस महाकाल लोक में शुरू हो चुकी है और प्रशासन इसे दिवाली से पहले ट्रायल बेस पर शुरू करने की तैयारी में है।
किस आरती से पहले होगी प्रस्तुति, तय किया जाएगा
मंदिर में प्रतिदिन पांच आरतियां होती हैं — सुबह 4 बजे की भस्म आरती से लेकर रात 10:30 बजे की शयन आरती तक। एक ही दल का पूरे दिन प्रदर्शन करना संभव नहीं है, इसलिए प्रशासन फिलहाल यह तय कर रहा है कि किन आरतियों से पहले बैंड प्रस्तुति दी जाएगी। संभावना है कि सुबह और शाम की मुख्य आरतियों से पहले यह भक्ति संगीत बजाया जाएगा।
शिव भक्ति के सुरों से गूंजेगा महाकाल लोक
बैंड में पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह के वाद्य यंत्रों का समावेश किया जा रहा है — जैसे ढोल, नगाड़ा, शहनाई, बांसुरी, ट्रंपेट और इलेक्ट्रॉनिक की-बोर्ड। इन वाद्य यंत्रों की मदद से “हर हर महादेव”, “शिव तांडव स्तोत्र” और अन्य शिव भजनों की धुनें तैयार की जा रही हैं। भविष्य में यह बैंड महाकाल की सवारी में भी शामिल होगा, जिससे धार्मिक आयोजनों में और भी भव्यता आएगी।
दानदाताओं की मदद से हो रही तैयारी
मंदिर प्रशासन ने बैंड के लिए आवश्यक वाद्य यंत्रों की खरीदारी शुरू कर दी है, जिसमें दानदाताओं का सहयोग मिल रहा है। बैंड सदस्यों के लिए विशेष ड्रेस कोड भी निर्धारित किया जाएगा, ताकि उनकी प्रस्तुति एकरूप और अनुशासित दिखे।
सदियों पुरानी परंपरा के साथ नया प्रयोग
उज्जैन के महाकाल मंदिर में शहनाई और नगाड़े की परंपरा लगभग 300 साल पुरानी है, जो सिंधिया शासनकाल से चली आ रही है। हर दिन सुबह 7 बजे की मध्य आरती और शाम 7 बजे की संध्या आरती में शहनाई वादन किया जाता है। अब इस परंपरा को आधुनिक संगीत के संग मिलाकर एक नया सांस्कृतिक संगम बनाया जा रहा है।
पुजारियों ने कहा — शुभ और प्रेरणादायक पहल
मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया —
“भगवान शिव को वाद्य यंत्रों का रचयिता और नटराज स्वरूप में कलाधर माना गया है। ऐसे में आरती से पहले बैंड की प्रस्तुति एक शुभ प्रयास है, जो परंपराओं को नई ऊर्जा देगा।”
आध्यात्मिक माहौल को मिलेगा नया रंग
यह पहल न केवल भक्तों के लिए संगीतमय भक्ति अनुभव लाएगी, बल्कि महाकाल मंदिर परिसर में सांस्कृतिक और धार्मिक माहौल को भी और सशक्त बनाएगी। आगामी दिनों में जब मंदिर की आरती से पहले बैंड की मधुर धुनें गूंजेंगी, तो महाकाल लोक एक नई भक्ति-लहर से भर उठेगा।