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महाकाल मंदिर की प्रोटोकॉल व्यवस्था अब पूरी तरह डिजिटल, वीआईपी दर्शन पर लाइव मॉनिटरिंग से खत्म होगी अवैध वसूली की गुंजाइश; अब कौन, कब, और कैसे कर रहा वीआईपी दर्शन — सबकुछ रहेगा लाइव रिकॉर्ड में!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन व्यवस्था को और पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए तकनीक का सहारा लिया गया है। मंदिर प्रशासन ने अब प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था को पूरी तरह डिजिटल और रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम से जोड़ दिया है। इस व्यवस्था के तहत वीआईपी श्रद्धालुओं की एंट्री से लेकर दर्शन तक की पूरी जानकारी अब ऑनलाइन दर्ज और लाइव मॉनिटर की जा रही है।
🔹 डिजिटल सिस्टम से लाइव ट्रैकिंग
मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक के निर्देशन में शुरू की गई इस नई व्यवस्था में जब भी कोई वीआईपी या विशेष श्रेणी का श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आता है, तो उसकी एंट्री तुरंत गूगल डॉक्युमेंट सिस्टम में दर्ज की जाती है। यह डेटा सीधे मंदिर प्रशासक और सहायक प्रशासक आशीष पलवड़िया के मोबाइल पर रियल टाइम में पहुंच जाता है।
इसमें यह जानकारी दर्ज होती है कि श्रद्धालु —
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कब मंदिर पहुंचे,
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किस गेट से प्रवेश किया,
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उनके साथ कितने लोग थे,
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किसने अनुशंसा या अनुमति दी,
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और उन्होंने कब तक दर्शन किए।
इसके साथ ही यह भी मॉनिटर किया जा रहा है कि श्रद्धालु को रिसीव किस कर्मचारी ने किया और प्रोटोकॉल दर्शन की पूरी प्रक्रिया में कौन-कौन शामिल था।
🔹 तीन स्तर की जांच और लाइव फीड
नए सिस्टम में तीन अलग-अलग स्थानों पर वीआईपी दर्शन की गतिविधि की जांच की जाती है। इन सभी पॉइंट्स की लाइव फीड अधिकारियों के मोबाइल पर उपलब्ध होती है, जिससे किसी भी गड़बड़ी या अनियमितता को तुरंत पकड़ा जा सकता है। सहायक प्रशासक आशीष पलवड़िया ने बताया कि अब हर दिन होने वाले प्रोटोकॉल दर्शन की संख्या, समय, और व्यवस्थाओं की सतत मॉनिटरिंग की जा रही है।
🔹 क्यों जरूरी हुई यह नई व्यवस्था?
महाकालेश्वर मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इनमें से कई जनप्रतिनिधि, अधिकारी, न्यायिक अधिकारी और मीडिया से जुड़े लोग प्रोटोकॉल व्यवस्था के तहत दर्शन करते हैं। इस श्रेणी के लिए प्रति व्यक्ति ₹250 मंदिर में दान स्वरूप जमा करना अनिवार्य होता है।
पिछले कुछ वर्षों में इस व्यवस्था में अनियमितताओं के कई मामले सामने आए —
कुछ कर्मचारियों पर आरोप लगा कि उन्होंने वीआईपी दर्शन के नाम पर अवैध वसूली की। कई बार अधिक संख्या में लोगों को एंट्री दिलाई गई और पैसों का लेन-देन मंदिर खाते में दर्ज नहीं हुआ।
इन्हीं गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए अब पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया गया है। इसका उद्देश्य है —
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पारदर्शिता बढ़ाना,
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अवैध वसूली पर रोक लगाना,
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और प्रोटोकॉल व्यवस्था में जवाबदेही सुनिश्चित करना।
🔹 10 महीने पहले पकड़ा गया था अवैध वसूली का रैकेट
करीब दस महीने पहले महाकाल मंदिर में वीआईपी दर्शन के नाम पर अवैध वसूली का बड़ा मामला सामने आया था। जांच में पता चला था कि कुछ कर्मचारी और पुरोहित श्रद्धालुओं से ₹1100 से ₹2000 तक वसूल रहे थे। यह राशि मंदिर समिति के खाते में जमा नहीं होती थी। मामला सामने आने के बाद 13 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिनमें से 6 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया था।
🔹 अब नहीं होगी गड़बड़ी
नई डिजिटल प्रणाली के बाद मंदिर प्रशासन का कहना है कि अब किसी भी प्रकार की अनियमितता पर तुरंत कार्रवाई की जा सकती है।
आशीष पलवड़िया, सहायक प्रशासक, का कहना है —
“लाइव मॉनिटरिंग से अब पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो गई है। कौन-सा वीआईपी कब आया, किसके माध्यम से आया और दर्शन कब किए — सब कुछ रिकॉर्ड में रहता है।”
🔹 पारदर्शिता और श्रद्धालुओं का विश्वास
महाकाल मंदिर में लागू की गई यह तकनीकी व्यवस्था न सिर्फ वीआईपी दर्शन प्रणाली को मजबूत बनाएगी, बल्कि मंदिर प्रशासन की कार्यप्रणाली में भी श्रद्धालुओं का विश्वास बढ़ाएगी। इस पहल से उम्मीद है कि आने वाले समय में धार्मिक व्यवस्थाओं में पारदर्शिता और अनुशासन दोनों और बेहतर होंगे।