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शिप्रा को निर्मल बनाने की अनोखी पहल — उज्जैन से शुरू हुई त्रिशूल शिवगण वाहिनी की प्रदक्षिणा यात्रा, संतों ने दिया जल संरक्षण का संदेश
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन में रविवार को त्रिशूल शिवगण वाहिनी की ओर से आयोजित शिप्रा प्रदक्षिणा यात्रा का शुभारंभ धार्मिक उल्लास और आध्यात्मिक माहौल के बीच हुआ। रामघाट पर मां शिप्रा के विधि-विधान से पूजन और चुनरी अर्पण के बाद यह यात्रा प्रारंभ की गई। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है — शिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाना और जल संरक्षण के प्रति जन जागरूकता फैलाना। यात्रा में संत-महात्माओं और श्रद्धालुओं सहित करीब 100 लोग शामिल हुए हैं।
संतों के सान्निध्य में हुआ शुभारंभ
प्रदक्षिणा यात्रा की शुरुआत जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर शैलेश आनंद गिरि और निर्मोही अखाड़ा के महंत ज्ञान दास महाराज के मार्गदर्शन में की गई। इस अवसर पर महंत विशालदास, महंत रामेश्वर दास, महामंडलेश्वर शांति स्वरूपानंद, महामंडलेश्वर भागवतानंद गिरी, महामंडलेश्वर प्रेमानंद, स्वामी रंगनाथाचार्य, पूर्व विधायक पारस जैन, आदित्य नागर और सुरेन्द्र चतुर्वेदी सहित अनेक संत और श्रद्धालु मौजूद रहे।
उद्गम स्थल तक पहुंचेगी यात्रा
यह यात्रा शिप्रा नदी के उद्गम स्थल — ग्राम बोलासा, दकनासोडी और मुडला दोसर — तक पहुंचेगी। यात्रा 3 नवंबर को इन स्थलों से लौटकर सिमरोड, उन्हेल, आलोट, सिपावरा, शिप्रा-चंबल संगम, महिदपुर और नारायणा धाम होते हुए 5 नवंबर की शाम उज्जैन लौटेगी।
प्रदक्षिणा के दौरान हर प्रमुख पड़ाव पर सनातन पंचायत धर्म चेतना सभाएं आयोजित की जाएंगी, जिनमें “नदी, नारी और न्याय” जैसे विषयों पर संवाद होगा।
‘एक दीया शिप्रा के नाम’ से होगा समापन
5 नवंबर को रामघाट पर यात्रा का समापन ‘एक दीया शिप्रा के नाम’ अभियान के साथ किया जाएगा। इस विशेष आयोजन के माध्यम से श्रद्धालु मां शिप्रा के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करेंगे और नदी को निर्मल बनाए रखने का संकल्प लेंगे। आयोजकों के अनुसार, यह यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि पर्यावरण और जल संरक्षण आंदोलन का प्रतीक है।