52/84 श्री ओंकारेश्वर महादेव

52/84 श्री ओंकारेश्वर महादेव

प्राचीन समय में शिव ने एक दिव्य पुरूष को प्रकट किया। पुरूष ने शिव से पूछा कि वह क्या कार्य करें तो शिव ने कहा तुम अपनी आत्मा का विभाग करो। वह पुरूष शिव की बात को न समझने के कारण चिंता में पड़ गया और उसके शरीर से एक अन्य पुरूष उत्पन्न हुआ, जिसे शिव ने ओंकार का नाम दिया। शिव की आज्ञा से ओंकार ने वेद, देवता, सृष्टि , मनुष्य , ऋषि उत्पन्न किये और शिव के सम्मुख खडा हो गया। शिव ने प्रसन्न होकर ओंकार से कहा कि तुम अब महाकाल वन में जाओं और वहां शूलेश्वर महादेव के पूर्व दिशा में स्थित शिवलिंग का पूजन करों ओंकार वहां पहुंचा और शिवलिंग के दर्शन कर उसमें लीन हो गया। औंकार के शिवलिंग में लीन होने से शिवलिंग ओंकारेश्वर के नाम से विख्यात हुआ। मान्यता है कि जो भी शिवलिंग का दर्शन कर पूजन करता है उसे सभी तीर्थो काशी यात्रा के समान फल प्राप्त होता है।

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