शिप्रा में मिलने से न कान्ह रोक पाए न गंदे नाले, रामघाट पर फिर ये नजारे

उज्जैन | शिप्रा को शुद्ध रखने और प्रदूषण से बचाने के लिए सरकार ने कान्ह डायवर्सन पर 80 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसके पहले शहर के गंदे नालों को शिप्रा में मिलने से रोकने पर भी करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। बावजूद स्थिति जस की तस है। बारिश के दौरान कान्ह का गंदा पानी त्रिवेणी पर शिप्रा में मिल गया, जिससे जलप्रदाय में उपयोग किया जा रहा शिप्रा का पानी भी प्रदूषित हो गया। स्थिति यह बनी कि पीएचई को फिल्टर प्लांट बंद करने पड़े। बाद में नर्मदा का पानी आने पर जलप्रदाय में शिप्रा के पानी का उपयोग शुरू हो पाया। इधर शिप्रा में गंदे नालों की रोकथाम का दावा भी पीएचई करता रहा है। गुरुवार सुबह रामघाट पर सिवरेज लाइन का चैंबर उफना जाने से गंदा पानी घाट से बहता हुआ शिप्रा में मिलता रहा। पहले भी कई बार ऐसी स्थिति बनी। प्रशासन चैंबर की कोई स्थायी व्यवस्था अब तक नहीं कर पाया है।

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