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महाकाल की पांचवीं सवारी में श्रद्धालुओं की भीड़ कम लेकिन उत्साह अपार
उज्जैन | महाकाल की पांचवीं सवारी में रक्षाबंधन के कारण भीड़ कम थी, बावजूद श्रद्धालुओं में बाबा महाकाल के दर्शन के लिए अपार उत्साह नजर आया। ग्रहण के सूतक के चलते पहली बार ऐसा हुआ, जब श्रावण की आखिरी सवारी में श्रद्धालुओं की भीड़ कम रही। सवारी मार्ग पर भीड़ कम होने से पालकी को दौड़ाकर निकाला गया। यही कारण रहा हर सोमवार को शाम 5 बजे रामघाट पहुंचने वाली सवारी 4.45 बजे ही शिप्रा तट पहुंच गई। यहां अभिषेक-पूजा के बाद नगर भ्रमण कर सवारी शाम 7 बजे मंदिर पहुंचकर समाप्त हुई। इसके पूर्व दोपहर 3.45 बजे सभामंडप में विधायक डॉ.मोहन यादव, म.प्र.जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष प्रदीप पाण्डे, जिला पंचायत अध्यक्ष महेश परमार, गृह विभाग के सचिव केदार शर्मा ने पूजन किया। सवारी में कलेक्टर संकेत भोंडवे, एसपी सचिन अतुलकर पूरे समय पैदल चलकर व्यवस्थाओं पर नजर रखे हुए थे।
पांचवीं सवारी में पांच रूपों में दर्शन
श्रावण की यह पांचवीं सवारी थी। इसलिए भगवान महाकाल पांच रूपों में निकले। पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश मुघौटे निकले। घुड़सवार, सशस्त्र जवान, झांझ-मंजीरे व डमरू बजाते पंडितों की टोली सवारी में शामिल थी।
14 को भादौ की पहली सवारी
श्रावण में प्रजा का हाल जानने के बाद अब महाकाल भादौ में सवारी के रूप में निकलेंगे। भादौ मास की पहली सवारी 14 अगस्त व दूसरी सवारी 21 अगस्त को आएगी। 21 तारीख को निकलने वाली सवारी महाकाल की शाही सवारी होगी।