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गंभीर 90 फीसदी खाली, आरक्षित करेंगे साहिबखेड़ी व उंडासा तालाब का पानी
उज्जैन । शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए कलेक्टर संकेत भोंडवे ने स्पष्ट किया है कि वे पूरी स्थिति पर निगाह रखे हुए हैं। जरूरत पड़ने पर उंडासा व साहेबखेड़ी तालाबों का पानी आरक्षित करेंगे। हालांकि उन्होंने मानसून के बाकी दिनों में अच्छी बारिश होने की उम्मीद भी जताई। इस बार बारिश कम होने से गंभीर 90 फीसदी खाली है। 2250 एमसीएफटी की क्षमता वाले गंभीर में गुरुवार को मात्र 233 एमसीएफटी ही पानी था। जिससे करीब 30 बार जल प्रदाय किया जा सकता है। इन हालातों के चलते पीएचई के अफसरों ने कलेक्टर को साहिबखेड़ी व उंडासा तालाब के पानी को पेयजल के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव भेजा है।
दोनों तालाबों में 13 दिन सप्लाय इतना ही पानी
साहिबखेड़ी तालाब में 43 एमसीएफटी और उंडासा तालाब में 10 एमसीएफटी पानी है। जिससे महज 13 दिन शहर में जल आपूर्ति हो सकती है। कलेक्टर यदि दोनों तालाबों का पानी आरक्षित करते हैं तो इनसे सिंचाई रूकवा दी जाएगी।
उंडासा तालाब भी इस बार क्षमता से नहीं भरा है। इसमें 13 एमसीएफटी पानी है।
जलसंकट से निपटने के लिए मांगा नर्मदा का पानी
शहर की प्यास बुझाने के लिए निगमायुक्त विजय कुमार जे ने गुरुवार को भोपाल में बैठक में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव से नर्मदा के पानी की मांग की। कहा कि गंभीर डेम खाली है ऐसे में पेयजल आपूर्ति के लिए नर्मदा के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। इस पर श्रीवास्तव ने कहा कि घबराओ नहीं एनवीडीए वालों से बात करेंगे और नर्मदा से पानी पहुंचाएंगे। बैठक में इंदौर के अफसरों की मौजूदगी में कान्ह के गंदे पानी का मुद्दा भी उठा। पीएचई के कार्यपालन यंत्री धर्मेंद्र वर्मा ने कहा कि इंदौर, राऊ व सांवेर आदि स्थानों का गंदा पानी कान्ह के जरिए शिप्रा में ना मिले इसके लिए भी प्रयास होने चाहिए। ताकि हम जरूरत के वक्त शिप्रा के पानी से भी पेयजल आपूर्ति कर सके। श्रीवास्तव ने व्यवस्था तय की कि इंदौर, राऊ व सांवेर से प्रयास किए जाए कि ज्यादा गंदा पानी कान्ह की तरफ नहीं जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अमला उज्जैन की तरफ जा रही कान्ह नदी में प्रत्येक 500 मीटर से सेंपलिंग करेगा। ताकि कान्ह के होकर शिप्रा की तरफ गंदा पानी जाने की स्थिति में उसे कंट्रोल किया जा सके।