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बियाबानी चौराहे से बाधाएं दूर नहीं की और मंगवा ली 10 लाख रु. की मूर्तियां
उज्जैन | जनवरी में 50 लाख की लागत से बियाबानी चौराहे के सौंदर्यीकरण के भूमिपूजन के दौरान दावे किए थे कि 6 महीने बाद यह शहर का सबसे सुंदर चौराहा होगा। आठ महीने बीतने के बावजूद कार्य अधूरा है। अब तो स्थिति यह है कि 10 लाख की मूर्तियां चौराहे पर लाकर रख दी गई हैं लेकिन इससे पूर्व यहां की समस्याएं दूर नहीं की गई। लिहाजा पुन: निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है।
दरअसल यहां निर्माण की शुरुआत के पूर्व निगम के जिम्मेदारों ने वॉच टॉवर, बिजली की डिपी, कुछ गुमटी व पोल नहीं हटवाएं थे। ऐसे में साइड क्लियर नहीं हो पाई थी और कुछ दिन निर्माण के बाद ठेकेदार को यहां काम रोकना पड़ा था। वहीं हाल ही में अब एक सप्ताह से यहां चारों दिशाओं में लगने वाली मूर्तियां भी लाकर रख दी गई हैं लेकिन ठेकेदार के सामने उलझन यहीं है कि वह निर्माण कैसे शुरू करे। इधर इस संबंध में निर्माण से जुड़े जिम्मेदार तर्क देते हैं कि साइड क्लियर करने के लिए संबंधित विभागों के अफसरों से पत्र व्यवहार करने के अलावा उन्हें मौका भी दिखा दिया है बावजूद वे मदद नहीं कर रहे हैं।
शुरू से ही अड़चने आती रही
दो बार भूमिपूजन टला।
रोटरी बनाई और बाद में यातायात वालों ने आपत्ति ली तो तोड़ना पड़ी।
ड्राइंग-डिजाइन चेंज हुई और हाईमास्क लगाने का भी प्रावधान किया गया।
साइड क्लियर नहीं होने से अड़चन।
भय यह भी कि चौराहे पर पड़ी मूर्तियों को कोई नुकसान न पहुंचा दे।
अभी यह होने हैं काम
बुधवारिया मार्ग, मोहन टॉकिज मार्ग, गाड़ी अड्डा चौराहा मार्ग व लक्ष्मी अपार्टमेंट मार्ग चारों दिशाओं में शेर, ईगल व पनिहार की पांच मूर्तियां लगना है। ये राजस्थान के जयपुर से तैयार करवाई गई हैं।
डामरीकरण होकर सोलर से चार्ज होने वाली मार्कर केडाई लगना है।
तीन हाईमास्क लगना है।
रहवासी चौराहे के बीच में तिरंगा लगाने की प्लानिंग भी कर रहे हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
पुलिस और बिजली कंपनी वालों को सबकुछ नॉलेज में ला दिया है। अब जल्द ही काम शुरू करवाएंगे। अरुण जैन, जोन अधिकारी, नगर निगम
निगम वालों ने बुलाया था। मैंने मौका भी देखा है लेकिन वाॅच टॉवर हटाना हमारे हाथ में नहीं है। उसे हटाना है या नहीं पुलिस लाइन के आरआई तय करेंगे। उन्हें नॉलेज में ला दिया है। एसके उपाध्याय, डीएसपी यातायात
मुझे जानकारी में है कि वहां पर डिपी व लाइन हटकर कलाली के पास शिफ्ट होना है। लेकिन शिफ्टिंग निगम वालों को ही किसी ए श्रेणी के ठेकेदार से करवानी होगी। नियम बदल गए हैं हम तो केवल सूपर विजन का शुल्क लेकर स्वीकृति देते हैं। उन्हें स्वीकृति दी है या नहीं कंफर्म नहीं। एसके जैन, ईई, बिजली कंपनी
साइड क्लियर करवाने के लिए मैं व्यक्तिगत रूप से भी निगमायुक्त को पत्र लिख चुका हूं। यदि अभी वाले हालात में निर्माण शुरू करेंगे तो सुंदरता नहीं दिखाई देगी और नुकसान का भी खतरा रहेगा। एक-दो दिन में पुन: निगमायुक्त से आग्रह करता हूं। दिनेश राठौर, ठेकेदार