उज्जैन में रेलवे स्टेशन से महाकाल तक बनेगा 1.7 KM लंबा अत्याधुनिक रोपवे, अगले साल से चलेगा: यूरोपीय तकनीक से होगा निर्माण, 200 करोड़ की लागत से तैयार हो रहा प्रोजेक्ट!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन में सिंहस्थ 2028 को देखते हुए धार्मिक पर्यटन को और सुगम बनाने के लिए एक बेहद महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। रेलवे स्टेशन से विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर तक 1.7 किलोमीटर लंबा रोपवे तैयार किया जा रहा है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को महज कुछ मिनटों में मंदिर तक पहुंचा देगा। इस प्रोजेक्ट को लेकर पूरे देशभर में उत्सुकता है।

इस रोपवे के लिए नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड कंसाइनिंग एजेंसी है, एमएसआईएल इसका निर्माण कर रही है और दुनिया की प्रमुख रोपवे कंपनी डोप्पेलमेयर इस प्रोजेक्ट के लिए ओईएम टेक्नोलॉजी सप्लायर है। डोप्पेलमेयर इस रोपवे के लिए ऑस्ट्रिया से लाई गई अत्याधुनिक मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब 200 करोड़ रुपए है और इसे अगले साल के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

इस रोपवे में कुल 55 गोंडोले (केबिन) लगाए जाएंगे, जिनमें श्रद्धालु प्रतिदिन 16 घंटे तक लगातार यात्रा कर सकेंगे। प्रत्येक गोंडोला को अपने सफर को पूरा करने में करीब 5 से 7 मिनट का समय लगेगा। इस रूट पर कुल तीन स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जहां से यात्री सवार होकर सीधे महाकाल पहुंच सकेंगे।

सबसे बड़ी बात यह है कि इस रोपवे का निर्माण बिना किसी तोड़फोड़ के किया जा रहा है। इसके टावर 500-600 मीटर की दूरी पर स्थापित किए जा रहे हैं, जो घरों और बाजारों के ऊपर से गुजरकर यात्रियों को मंदिर तक लेकर जाएंगे। उज्जैन में बन रहा सबसे ऊंचा टावर 55 मीटर ऊंचा होगा, जो शहर की खूबसूरती को और बढ़ाएगा।

इस प्रोजेक्ट को लेकर सुरक्षा मानकों का भी खास ध्यान रखा गया है। यह रोपवे पूरी तरह यूरोपीय स्टैंडर्ड पर आधारित होगा। इसमें ऐसी तकनीक लगाई जा रही है जिससे किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में गोंडोला स्वत: ही वापस स्टेशन तक सुरक्षित पहुंच जाएगा।

रोपवे का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह बेहद कम समय में बनकर तैयार हो जाता है और इसके लिए भूमि अधिग्रहण या बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए पुराने और भीड़भाड़ वाले शहरों के लिए यह सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। यही वजह है कि उज्जैन के इस प्रोजेक्ट के बाद भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर जैसे शहरों में भी अर्बन ट्रांसपोर्ट के लिए रोपवे की योजना बनाई जा रही है।

रोपवे के जरिये लास्ट माइल कनेक्टिविटी भी सुगम हो जाएगी। उदाहरण के तौर पर जैसे इंदौर में मेट्रो तक पहुंचने के लिए लोग निजी वाहनों पर निर्भर रहते हैं, वहीं रोपवे स्टेशन से लोग बिना ट्रैफिक में फंसे सीधे मेट्रो स्टेशन तक पहुंच सकेंगे।

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