सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को लेकर उज्जैन में तेरह अखाड़ों के संत-महंत और प्रशासन के बीच ऐतिहासिक बैठक, 30 हजार करोड़ की परियोजनाओं पर सहमति; संतों ने रखीं 14 अहम मांगे

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन में गुरुवार को सिंहस्थ कुम्भ 2028 की तैयारियों को लेकर एक ऐतिहासिक और बेहद अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें देशभर के तेरह अखाड़ों के प्रमुख संत-महंत पहली बार एक साथ इकट्ठा हुए। यह बैठक उज्जैन के जंतर-मंतर स्थित जगदीश मंदिर परिसर में आयोजित की गई, जिसमें उज्जैन के कलेक्टर रोशन सिंह, मेला अधिकारी आशीष सिंह, नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक, विकास प्राधिकरण के सीईओ संदीप सोनी, एसपी प्रदीप शर्मा समेत कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए। संत समाज की ओर से स्थानीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रामेश्वर दास, भगवान दास समेत बड़ी संख्या में साधु-संत मौजूद रहे

इस बैठक में सिंहस्थ 2028 की योजनाओं को लेकर प्रशासन और संतों के बीच विस्तृत चर्चा हुई। उज्जैन कलेक्टर रोशन सिंह ने बताया कि इस बार 29 किलोमीटर के नए घाटों का निर्माण किया जा रहा है, ताकि आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को स्नान की बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि इतने बड़े स्तर पर पहली बार निर्माण कार्य हो रहे हैं, जो अगले एक-दो सालों में पूरे हो जाएंगे और ये निर्माण स्थायी आधार पर उज्जैन को कुम्भ नगरी के रूप में सशक्त बनाएंगे

कुम्भ मेला अधिकारी आशीष सिंह ने कहा कि “इस बार का सिंहस्थ भव्य और ऐतिहासिक होगा। लगभग 30 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाएं मंजूर की जा चुकी हैं। इस बार जो घाट बनाए जा रहे हैं, ऐसे घाट पहले कहीं नहीं बने। उज्जैन को एक स्थायी कुम्भ सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है। विश्वस्तरीय सड़कें, ब्रिज, यातायात, पेयजल, सीवेज और मंदिरों के सौंदर्यीकरण जैसे कार्य भी इस योजना में शामिल हैं।” उन्होंने आगे बताया कि कुम्भ से सिर्फ श्रद्धालु ही नहीं बल्कि स्थानीय नागरिक, संत समाज, और किसान वर्ग भी लाभान्वित होगा।

बैठक के बाद संतों और अधिकारियों ने सामूहिक रूप से प्रसादी ग्रहण की, और सौहार्दपूर्ण वातावरण में भविष्य की योजनाओं को लेकर सकारात्मक सहमति बनी। महंत रामेश्वर दास ने बताया कि उन्होंने प्रशासन के सामने 14 प्रमुख मुद्दों का ज्ञापन सौंपा है, जो संत समाज की मांगों और श्रद्धालुओं की जरूरतों पर आधारित हैं।

संतों की मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:

  1. मोक्षदायिनी शिप्रा नदी में मिलने वाले 13 नालों को पूरी तरह बंद किया जाए।

  2. कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना के अधूरे कार्यों को तेज़ी से पूरा किया जाए।

  3. देवास और इंदौर की फैक्ट्रियों का जहरीला पानी शिप्रा में मिल रहा है, उसे तत्काल प्रभाव से रोका जाए।

  4. पेशवाई मार्गों का चौड़ीकरण किया जाए, जिससे पर्व के दौरान सुगम आवागमन सुनिश्चित हो।

  5. सिंहस्थ प्रारंभ होने से छह माह पूर्व संतों का उज्जैन आगमन शुरू हो जाता है। ऐसे में आश्रमों में पक्के निर्माण कार्य शासन मद से पहले ही शुरू किए जाएं।

  6. शहर में टाटा कंपनी द्वारा किया जा रहा सीवेज कार्य शीघ्र पूर्ण किया जाए, ताकि गंदा पानी शिप्रा में न पहुंचे।

  7. शहर के चारों ओर सिंहस्थ मद से भव्य पत्थर निर्मित प्रवेश द्वार बनाए जाएं, ताकि उज्जैन की पौराणिक और धार्मिक छवि और निखर सके।

इस पूरे संवाद और योजना से साफ है कि सिंहस्थ 2028 सिर्फ एक धार्मिक महापर्व नहीं, बल्कि उज्जैन को ग्लोबल धार्मिक राजधानी के रूप में स्थापित करने का सुनियोजित प्रयास है। जिस प्रकार से संत समाज और प्रशासन साथ मिलकर योजनाएं बना रहे हैं, वह निश्चित रूप से उज्जैन के भविष्य को और गौरवमयी बनाने वाला है

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