विक्रम विश्वविद्यालय छात्रावास में मारपीट और रैगिंग का मामला, यूजीसी ने मांगी रिपोर्ट; दोषियों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय के शालीग्राम तोमर छात्रावास में मंगलवार देर रात घटित एक चौंकाने वाली घटना ने न केवल विश्वविद्यालय प्रबंधन को हिला दिया है, बल्कि अब मामला यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) की एंटी रैगिंग हेल्पलाइन तक भी पहुंच चुका है। बी.टेक थर्ड ईयर के छात्र सचिन देवनाथ के साथ छात्रावास के कमरे में घुसकर पांच छात्रों द्वारा की गई मारपीट और रैगिंग की घटना को लेकर UGC ने गंभीरता से संज्ञान लिया है और विश्वविद्यालय से इस पूरे घटनाक्रम की डिटेल रिपोर्ट तलब की है।
UGC की तरफ से यूनिवर्सिटी प्रशासन को नोटिस जारी कर स्पष्ट रूप से पूछा गया है कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है, और क्या इस पूरी घटना को रैगिंग की श्रेणी में देखा जा रहा है। साथ ही, प्रबंधन द्वारा लिए गए फैसलों और उठाए गए कदमों की विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी गई है। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि UGC को मांगी गई सभी जानकारियां और कार्रवाई की स्थिति भेजी जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रोक्टोरियल बोर्ड की बैठक के बाद विभागाध्यक्षों के माध्यम से सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर दिया गया है और उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई है।
घटना की बात करें तो पीड़ित छात्र सचिन देवनाथ ने माधवनगर थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि मंगलवार की रात एमबीए के छात्र मुकुल उपाध्याय, स्पोर्ट्स विभाग के कृष्णा उदासी, कृषि विभाग के रानू गुर्जर और तुषार, तथा इंजीनियरिंग विभाग के मोइन शेख ने उसके कमरे में जबरन घुसकर उसके साथ शारीरिक हमला किया, उसके कपड़े फाड़े और उसे बुरी तरह घायल कर दिया। शिकायत में रैगिंग का स्पष्ट तौर पर उल्लेख करते हुए सचिन ने बताया कि आरोपी छात्र पूर्व में भी इस तरह की हरकतें कर चुके हैं।
इस हमले के बाद पीड़ित छात्र को गंभीर चोटें आईं और उसका मानसिक संतुलन भी प्रभावित हुआ। घटना का एक और पहलू यह भी सामने आया कि विश्वविद्यालय के छात्रावासों में सुरक्षा और निगरानी की व्यवस्था बेहद कमजोर है, जिससे इस तरह की घटनाओं को अंजाम देना आसान हो जाता है।
छात्र की शिकायत पर माधवनगर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और अब आपराधिक जांच शुरू की जा चुकी है। पुलिस विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन दोनों ही अब इस मामले में एक्शन मोड में हैं। विश्वविद्यालय के छात्र समुदाय में इस घटना को लेकर रोष है और कई छात्र संगठनों ने प्रशासन से दोषियों को सस्पेंड करने और छात्रावास से निष्कासित करने की मांग की है।
यह मामला विक्रम विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की छवि को गहरा आघात पहुंचाने वाला है। साथ ही, यह सवाल भी उठाता है कि क्या विश्वविद्यालय परिसर में रैगिंग पर लगाए गए प्रतिबंध और निगरानी तंत्र वास्तव में प्रभावी हैं?
अब जब कि मामला UGC की निगरानी में है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन क्या सख्त कदम उठाता है और क्या इस मामले में आरोपी छात्रों पर कानूनी और शैक्षणिक दोनों स्तरों पर ठोस कार्रवाई होती है या नहीं।