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महाकाल मंदिर में भांग श्रृंगार पर विवाद: विद्वत परिषद की मांग भांग श्रृंगार बंद हो, कहा – शास्त्रों में भांग से भगवान शिव के श्रृंगार का कोई उल्लेख नहीं; पुजारियों ने बताया भांग श्रृंगार का महत्व!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल के भांग श्रृंगार को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। विद्वत परिषद ने इस परंपरा को तत्काल बंद करने की मांग उठाई है, यह कहते हुए कि शास्त्रों में भांग से भगवान का श्रृंगार करने का कोई उल्लेख नहीं है। परिषद के अध्यक्ष और पूर्व कमिश्नर मोहन गुप्त का कहना है कि भांग से भगवान के शिवलिंग का क्षरण हो रहा है। वहीं, मंदिर के पुजारी इस परंपरा को सही बताते हुए इसे शास्त्रों से जोड़ते हैं।
क्या है मामला?
18 अगस्त की रात को महाकाल के भांग श्रृंगार का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद मंदिर प्रशासन और विद्वत परिषद के बीच बहस शुरू हो गई। महाकाल मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक ने इस मामले में पुजारी प्रदीप गुरु को नोटिस जारी कर दो दिन में जवाब मांगा, जिसमें यह पूछा गया था कि निर्धारित मात्रा से अधिक भांग का उपयोग क्यों किया गया।
विद्वत परिषद की आपत्ति
विद्वत परिषद के अध्यक्ष मोहन गुप्त ने कहा कि शिवलिंग पर भांग चढ़ाने का कोई धार्मिक या शास्त्रिक महत्व नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस परंपरा का पालन पुजारियों ने व्यवसायिक उद्देश्य से शुरू किया है, क्योंकि वे भांग का श्रृंगार कर जजमान को फोटो भेज सकते थे। उनका मानना है कि रोजाना भांग चढ़ाने से शिवलिंग का क्षरण हो रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भांग पीने का कोई उल्लेख भी शास्त्रों में नहीं मिलता।
पुजारियों का पक्ष
वहीं, मंदिर के वरिष्ठ पुजारी महेश शर्मा और यश गुरु ने इस परंपरा का बचाव करते हुए कहा कि यह शास्त्रों में उल्लिखित एक सामान्य परंपरा है। उन्होंने बताया कि भगवान शिव ने पहले धतूरा और विष जैसी चीजों को धारण किया था, जिससे उनका शरीर गर्म हो गया था और माता पार्वती ने उन्हें भांग की औषधि दी थी, जिससे उन्हें शांति और ठंडक मिली। पुजारियों का कहना है कि भांग चढ़ाने का कार्य न्यायालय की गाइडलाइन्स के अनुसार होता है और यह एक सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रिया है।
मंदिर प्रशासन की प्रतिक्रिया
मंदिर प्रशासन ने इस विवाद के बाद एक कदम आगे बढ़ाते हुए व्यवस्था को और स्पष्ट किया है। मंदिर समिति ने निर्णय लिया है कि भविष्य में भांग को मंदिर समिति के द्वारा तौला जाएगा और तभी उसे अर्पित किया जाएगा। इसके लिए एक इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटा मंगवाया गया है, जिससे अब भांग की निर्धारित मात्रा सुनिश्चित की जाएगी।
भांग श्रृंगार के गिरने की वजह
18 अगस्त को हुए भांग श्रृंगार पर पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया कि भारी बारिश के कारण गर्भगृह में नमी थी, जिसकी वजह से भांग शिवलिंग पर टिक नहीं पाई। उनका कहना था कि मंदिर समिति द्वारा तय मात्रा में ही भांग अर्पित की गई थी, लेकिन नमी और बारिश के कारण भांग गिर गई।
महाकाल मंदिर में भांग श्रृंगार को लेकर बढ़ते विवाद ने एक बार फिर धार्मिक परंपराओं और उनके व्यावसायिक पहलुओं पर सवाल उठाए हैं। विद्वत परिषद ने भांग श्रृंगार को बंद करने की मांग की है, वहीं पुजारी और मंदिर प्रशासन इस परंपरा का बचाव कर रहे हैं। अब, मंदिर प्रशासन ने इसका हल निकालने के लिए तय किया है कि भविष्य में भांग की सही मात्रा ही अर्पित की जाएगी।