Covid वैक्सीनेशन पड़ा कमजोर, टीका लगवाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे लोग…

  • 12 से 14 वर्ष आयु के बच्चों में अब तक केवल 22 प्रतिशत का टीकाकरण

उज्जैन।जिले में कोविड टीकाकरण महाअभियान कमजोर पडऩे लगा है। हालत यह है कि कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा डोज लगवाने में लोगदिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इधर बालकों के टीकाकरण अभियान को भी गति नहीं मिल पा रही है। कोरोना की तीसरी लहर समाप्ति की ओर है।

रोजाना मिलने वाले नए मरीजों की संख्या में भारी कमी आई है। अब कभी कभार ही नए मरीज सामने आ रहे हैं। इस संबंध में चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण का खतरा बढऩे के बाद नागरिकों ने टीकाकरण पर जोर दिया था। खतरा दूर होते ही टीका लगवाने में उनकी रुचि घटती जा रही है। 12 से 14 वर्ष आयु के बालकों की संख्या भी केंद्रों में घटने लगी है।

कोरोना टीकाकरण महाअभियान के बाद स्वास्थ्य विभाग ने हेल्थ व फ्रंट लाइन वर्कर्स को प्रीकोशन टीके लगाना शुरू किए है। इसके तहत 45 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को कोरोना के खतरे से बचाने के लिए तीसरा बूस्टर टीका लगाया गया। परंतु इस आयु वर्ग के तमाम हितग्राही कोरोना टीका की तीसरी डोज लगवाने में आनाकानी करने लगे हैं।45 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग के 10677हेल्थ वर्कर को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया था। इसमें से मात्र 9778 ने ही टीका लगवाया है। इसी प्रकार फ्रंट लाइन वर्कर्स के लिए 9205 का लक्ष्य था, इसमें से 7844 ने ही टीका लगवाया हैं।

टीकाकरण से कम हुआ खतरा…जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. के सी परमार ने बताया कि टीकाकरण के कारण जिले में कोरोना की तीसरी लहर कमजोर पड़ी। तीसरी लहर घातक नहीं हो पाई।

इस दौरान संक्रमित हुए अधिकांश मरीज एंटीबायोटिक दवाओं के बगैर कोरोना को हराने में सफल रहे। ज्यादातर मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ा। टीकाकरण के फायदे सामने आने के बाद 12 से 14 साल के बालकों व किशोरों को कोरोना का टीका लगवाने का अभियान शुरू किया गया। परंतु इस आयु वर्ग के तमाम हितग्राही टीका लगवाने के लिए केंद्रों में नहीं पहुंच रहे हैं।

लगातार घट रहे हितग्राही

12 से 14 वर्ष के बालकों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत 23 मार्च से की गई। लेकिन टीकाकरण की रिपोर्ट निराशाजनक रही। जिले में 78310 बालकों को टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से 17180 बालकों को टीका लगा है। जिला टीकाकरण अधिकारी का कहना है कि तीसरी लहर कमजोर पडऩे के कारण केंद्रों में हितग्राहियों की संख्या में कमी आई है।

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