गंगा दशहरा 5 जून को, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी पर बन रहे छह शुभ योग; गंगा स्नान, पूजन और दान से मिलेंगे दस दोषों से मुक्ति और वंश वृद्धि का आशीर्वाद!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

इस वर्ष गंगा दशहरा पर्व 5 जून को बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और इस दिन को मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का पावन दिवस माना जाता है। इस बार गंगा दशहरा कई दिव्य और शुभ संयोगों के साथ आ रहा है। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार इस दिन छह विशेष योग बन रहे हैं जो इसे और अधिक फलदायी और आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाते हैं।

5 जून को दशमी तिथि के साथ हस्त नक्षत्र, व्यातिपात योग, सिद्धि योग, कन्या राशि में चंद्रमा और वृषभ राशि में सूर्य का विशेष संयोग रहेगा। इन छह शुभ योगों में गंगा स्नान, व्रत, जप, तप, हवन, अनुष्ठान, दान और संकल्प जैसे धार्मिक कार्य करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए वैदिक अनुष्ठान, व्रत और पूजन अत्यंत प्रभावशाली होते हैं और व्यक्ति के जीवन में शुभता और संतुलन लाते हैं।

गंगा दशहरा के दिन तीर्थ स्थलों पर स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति का संचार होता है। यदि संभव न हो तो घर में ही स्नान के जल में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान किया जा सकता है। स्नान के पश्चात मां गंगा का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही देवताओं, ऋषियों और पितरों का तर्पण कर उनके निमित्त अन्नदान, पात्रदान, वस्त्रदान आदि करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

ज्येष्ठ मास में विशेष रूप से दान को अत्यंत पुण्यकारी कहा गया है। कहा जाता है कि इस माह में दिया गया दान न केवल पितरों को तृप्त करता है, बल्कि वर्तमान जीवन में भी सुख-समृद्धि और वंश वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।

गंगा दशहरा केवल बाह्य रूप से स्नान व दान का पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और आत्मनिरीक्षण का भी अवसर है। इस दिन व्यक्ति को दस प्रकार के दोषों से मुक्त होने का संकल्प लेना चाहिए। इन दोषों में तीन मानसिक दोष – काम, क्रोध और मोह, तीन वाचिक दोष – असत्य भाषण, कटु वाणी और निंदा, तीन शारीरिक दोष – हिंसा, चोरी और व्यभिचार, तथा एक क्रियात्मक दोष – परपीड़ा शामिल हैं।

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