उज्जैन में स्थित हरसिद्धि माता मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक, नवरात्री के पहले दिन माता हरसिद्धि के दर्शन करने पहुंचे

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
शारदीय नवरात्रि पर्व, जो माँ दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। 2024 में, शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर गुरुवार यानि की आज से शुरू होकर 12 अक्टूबर शनिवार तक चलेगी। बता दें, शारदीय नवरात्रि अन्य नवरात्रियों में सबसे अधिक प्रचलित और लोकप्रिय है। इस वर्ष यह पर्व पूरे देश में धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाएगा।
वहीं, उज्जैन में स्थित हरसिद्धि माता का मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो 52 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है यहाँ माता सती की कोहनी गिरी थी। बता दें, नवरात्रि में सबसे ज्यादा श्रद्धालु शक्तिपीठ हरसिद्धि माता के दरबार में पहुंचते हैं। इसी क्रम में आज नवरात्री के पहले दिन श्रद्धालु माता हरसिद्धि के दर्शन करने पहुंचे. वहीं, आज मंदिर पर घटस्थापना के साथ विशेष आरती की गई। कहा जाता है कि नवरात्रि के नौ दिन माता हरसिद्धि शयन नहीं करती हैं। ऐसे में नवरात्रि के नौ दिन मंदिर में शयन आरती नहीं होती है। शयन आरती का क्रम दसवें दिन से प्रारंभ होगा।
वैसे तो इस मंदिर से जुडी कई पौराणिक कथाएं है। लेकिन हरसिद्धि मंदिर का संबंध राजा विक्रमादित्य से भी माना जाता है। लोक कथाओं के मुताबिक, हरसिद्धि माता मंदिर को सम्राट विक्रमादित्य की तपोभूमि माना जाता है क्युकी विक्रमादित्य ने देवी को प्रसन्न करने के लिए हर 12वें वर्ष में अपने सिर की बलि दी थी। उन्होंने 11 बार ऐसा किया, लेकिन माता की कृपा से पुन: नया सिर मिल जाता था। लेकिन जब 12वीं बार उन्होंने सिर की बलि दी तो यह वापस नहीं आया। इसे उनके शासन का अंत माना गया। यूं तो मंदिर की और भी कई विशेषताएं हैं, लेकिन मंदिर प्रांगण में स्थापित 2 दीप स्तंभ आकर्षण का केंद्र है. दोनों दीप स्तंभों में कुल मिलाकर लगभग 1 हजार 11 दीपक हैं। मान्यता है कि इन दीप स्तंभों की स्थापना उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने करवाई थी। उज्जैन का यह मंदिर विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने जीवन में सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।