पिछले साल की आग से सबक, महाकाल मंदिर में होली पर कड़े सुरक्षा इंतजाम: भक्त नहीं ला सकेंगे रंग-गुलाल, पंडे-पुजारियों को भी सीमित मात्रा में उपलब्ध करवाई जाएगी गुलाल

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर में इस बार होलिका दहन और धुलेंडी पर परंपरागत उल्लास के साथ-साथ सतर्कता का भी माहौल रहेगा। पिछले साल धुलेंडी की सुबह भस्म आरती के दौरान हुई अग्नि दुर्घटना के बाद इस बार मंदिर प्रशासन ने भक्तों और पंडे-पुजारियों के लिए सख्त नियम लागू किए हैं। भक्त अब रंग-गुलाल लेकर मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे, और होली पर महाकाल की भस्म आरती में सीमित मात्रा में ही गुलाल का उपयोग होगा। बता दें, श्री महाकालेश्वर मंदिर में 13 मार्च को परम्परागत तरीके से होलिका दहन के बाद 14 मार्च को धुलेंडी का पर्व मनाया जाएगा।
महाकाल मंदिर भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र है, जहां हर पर्व विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। होली के रंगों से शिव आराधना की परंपरा भी सदियों पुरानी है, लेकिन बीते वर्ष की दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने एक नई व्यवस्था को जन्म दिया। अब, मंदिर परिसर में अनहोनी को रोकने के लिए आधुनिक अग्निशमन प्रणाली लगाई गई है, जो गर्भगृह में तापमान बढ़ते ही सतर्कता अलार्म बजाएगी।
मंदिर प्रशासन की नई गाइडलाइन के अनुसार, इस बार होली के अवसर पर पंडे-पुजारियों को भी सीमित मात्रा में गुलाल उपलब्ध करवाया जाएगा। गर्भगृह में केवल एक लीटर हर्बल रंग अर्पित करने की अनुमति दी गई है, ताकि शिवभक्त अपनी आस्था के साथ-साथ सुरक्षा का भी ध्यान रख सकें।
शिवभक्तों के लिए नई व्यवस्था
श्रद्धालु अब मंदिर में होली के रंगों की बजाय केवल अपनी भक्ति और आस्था के रंग लेकर आएंगे। श्रद्धालुओं को मंदिर में रंग उड़ाने की अनुमति नहीं होगी, जिससे पवित्रता बनी रहे और किसी भी अप्रिय घटना की आशंका खत्म हो। मंदिर प्रबंधन समिति ने यह निर्णय शिवलिंग की सुरक्षा और आग लगने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए लिया है।
गौरतलब है कि पिछले साल की होली पर जब गर्भगृह में अचानक आग लगी थी, तब कई पुजारियों और सेवकों को गंभीर चोटें आई थीं। यहां तक कि एक सेवक की जान भी चली गई थी। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से चर्चा कर तत्काल आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे।