सम्राट विक्रमादित्य पर आधारित भव्य महानाट्य महामंचन का दिल्ली में शुभारंभ: उपराष्ट्रपति, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में गूंजा भारत का सांस्कृतिक गौरव, 14 अप्रैल तक चलेगा महानाट्य का महामंचन

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के माधादास पार्क में एक अविस्मरणीय सांस्कृतिक अध्याय की शुरुआत हुई, जब मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन का भव्य शुभारंभ हुआ। इस भव्य आयोजन का उद्घाटन देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और अनेक केंद्रीय व दिल्ली सरकार के वरिष्ठ नेताओं की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। दीप प्रज्ज्वलन और राष्ट्रगान के साथ शुरू हुए इस महामंचन में भारत के सांस्कृतिक स्वर्णयुग को जीवंत होते देख दर्शकगण भावविभोर हो उठे।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपने संबोधन में सम्राट विक्रमादित्य के शासन को भारत के गौरवमयी अतीत का प्रतीक बताते हुए कहा कि उनका शौर्य, न्यायप्रियता और प्रजावत्सलता आज भी शासकों के लिए आदर्श है। उन्होंने कला, संस्कृति, साहित्य और विज्ञान को जिस तरह संरक्षण और संवर्धन प्रदान किया, उसने भारत को एक समृद्ध राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की मिसाल पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा है और यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक चेतना को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल को भारत के इतिहास का स्वर्ण युग बताया। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य न केवल एक वीर योद्धा थे, बल्कि प्रजाहित में समर्पित एक संवेदनशील शासक भी थे। उन्होंने अपनी प्रजा के दुःख-दर्द को समझने के लिए भेष बदलकर आमजन के बीच जाना और जनता को कर्जमुक्त किया। डॉ. यादव ने सम्राट विक्रमादित्य को सुशासन, सेवा, और संवेदनशील नेतृत्व का आदर्श बताया।

इस महामंचन के माध्यम से दिल्लीवासियों को सम्राट विक्रमादित्य के स्वर्णिम युग से साक्षात्कार करने का अवसर मिला। दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने इसे दिल्ली के लिए परम सौभाग्य बताया और कहा कि इस आयोजन ने राजधानी को इतिहास और संस्कृति के अनमोल दर्शन कराए हैं। केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक स्मृति को पुनर्जीवित करने की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने सम्राट विक्रमादित्य को ज्ञान, विज्ञान और वीरता का प्रतीक बताया।

14 अप्रैल तक चलने वाले इस महानाट्य में 250 से अधिक कलाकारों द्वारा सम्राट विक्रमादित्य के जीवन की प्रमुख घटनाओं का भव्य मंचन किया जा रहा है। पालकियों, रथों, घोड़ों और अत्याधुनिक एलईडी ग्राफिक्स के प्रभावशाली संयोजन से दृश्य जीवंत बन रहे हैं। दर्शकों को सम्राट की वीरता, न्यायप्रियता और सांस्कृतिक नेतृत्व के प्रेरणादायक क्षणों को देखने और महसूस करने का अवसर मिल रहा है।

इसके साथ ही ‘महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ’ द्वारा विक्रमादित्यकालीन मुद्रा और मुद्रांक पर आधारित प्रदर्शनी, ‘आर्ष भारत’ के अंतर्गत भारतीय ऋषियों के जीवन पर केंद्रित प्रदर्शनी और मध्यप्रदेश सरकार की उपलब्धियों व पर्यटन को प्रदर्शित करने वाली भव्य प्रदर्शनियां भी लगाई गई हैं। ये सभी आयोजन न केवल भारतीय सांस्कृतिक विरासत की झलक देते हैं, बल्कि वर्तमान और भावी पीढ़ी को इससे जुड़ने की प्रेरणा भी प्रदान करते हैं।

यह आयोजन सम्राट विक्रमादित्य की अमर गाथा के माध्यम से भारत के वैभव, परंपरा, और सांस्कृतिक मूल्यों को फिर से जीवंत कर रहा है। दिल्ली की धरती पर इस सांस्कृतिक महोत्सव ने यह संदेश दिया है कि भारत की असली शक्ति उसकी संस्कृति, इतिहास और लोकमानस में निहित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज जिस सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में बढ़ रहा है, यह आयोजन उसकी सशक्त झलक है।

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