उज्जैन:शहर के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों में 1000 सीटें खाली

उज्जैन। विगत एक दशक में धडल्ले से शुरू हुए इंजीनियरिंग कॉलेजों की हालत पिछले तीन वर्षों में खस्ता हो चुकी है। बड़े-बड़े हाई टेक कैंपस और नौकरी दिलाने के दावे करके छात्रों के एडमिशन करवाने वाले इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति ये है कि उन्हें अब एक-एक एडमिशन के लिए जद्दोजहद करना पढ़ रही है। दूसरे राउंड की काउंसलिंग समाप्त होने के बाद भी आलम यह है कि उज्जैन के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज की 1467 सीटों में से सिर्फ 450 सीटों पर एडमिशन हुए है, बाकी 1000 से अधिक सीटों को अब भी विद्यार्थियों का इंतज़ार है। इसके विपरीत शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज की सभी सीटें फुल है और अब भी सैकड़ों बच्चों के आवेदन एडमिशन के लिए पेंडिंग पड़े हैं।

क्या इंजीनियरिंग की पढ़ाई का महत्व कम हुआ है?
अगर प्राइवेट कॉलेजों की स्थिति देखे तो लगता है कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई की कोई उपयोगिता नहीं बची है लेकिन ऐसा नहीं है।आज भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई का महत्व और नौकरियों के अनेक अवसर मौजूद है। प्राइवेट कॉलेजों के विपरीत शहर में शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज है जिसकी सभी ब्रांच की सभी सीटें हर वर्ष फुल हो जाती है ना उन्हें अपने कर्मचारियों को टारगेट देना पड़ता है और ना दलालों को कमीशन। यहां तक की 80 प्रति. से अधिक स्टूडेंट्स को कॉलेज कैंपस से ही नौकरियां मिल जाती है। तब ऐसी स्थिति में सवाल यह उठता है के इतने हाई-टेक (अत्याधुनिक) कैंपस होने का दम भरने वाले इन इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रति स्टूडेंट्स का झुकाव कम क्यों हो रहा है?

टीचर्स को लगाया एडमिशन लाने में
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक कॉलेज की फैकल्टी ने बताया कि प्राइवेट कॉलेजों में काम करने वाले हर विभाग के कर्मचारी चाहे वे प्रोफेसर हो या अकाउंटेंट, सभी को एडमिशन के टार्गेट्स दिए जा रहे हैं। इसी दबाव के चलते कई कर्मचारियों ने नौकरी तक छोड़ दी हैं। प्रोफेसर, कर्मचारी या अन्य व्यक्ति को भी कॉलेजों द्वारा सेल्स एक्जीक्यूटीव बना कर कोचिंग संस्थानों पर भेजा जाता है और हर एडमिशन पर उनका इनसेंटिव भी फिक्स होता है। बावजूद इसके अब स्टूडेंट्स इनके झांसे में नहीं आ रहे हैं।

कोई स्कूल तो कोई आईटीआई के भरोसे
स्टूडेंट्स की कमी के चलते देवास रोड स्थित एमआईटी ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूट ने अपने कॉलेज की बिल्डिंग में स्कूल और आईटीआई की शुरुआत की है। गौरतलब है कि तीन वर्ष पूर्व एमआईटीएस कॉलेज बंद किया जा चूका है और एमआईटीएम के लिए भी स्टूडेंट्स की रूचि कम ही है। जिसके चलते पिछले वर्ष बंद कॉलेज की बिल्डिंग में ग्रुप ने अलोक इंटरनेशनल स्कूल की शुरुआत की है। इंदौर रोड स्थित प्रशांति इंस्टिट्यूट को भी अब आईटीआई का ही सहारा है।

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