टिकट वितरण में कांग्रेस और भाजपा पीछे

उज्जैन। विधानसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लग चुकी है। जो नेता टिकट की दावेदारी कर रहे हैं वह पिछले दो-तीन महीनों से लगातार सक्रिय हैं। कोई दिल्ली भोपाल के चक्कर लगा रहा है तो कोई गांव-गांव पहुंचकर मतदाताओं के मन की थाह ले रहा है । लेकिन अभी तक कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों में से किसी ने भी एक भी सीट पर प्रत्याशी की अधिकृत रूप से घोषणा नहीं की है।
कांग्रेस में यह बात तय हो गई है कि वर्तमान विधायकों को फिर से चुनाव लडऩे का मौका दिया जाएगा इसके साथ ही पूर्व सांसदों को भी चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। लेकिन भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले है। भाजपा में कई वर्तमान विधायकों को फिर से टिकट मिलना नामुमकिन नजर आ रहा है।

जिन विधायकों का कार्यकाल विवादित रहा है अथवा वह पार्टी की कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं। उन्हें पार्टी टिकट से वंचित कर सकती है। उज्जैन जिले की सात विधानसभा क्षेत्रों में से तीन अथवा चार विधायकों के टिकट कर सकते हैं। पूर्व में भाजपा ने 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान तराना और बडऩगर के विधायक के बजाय नए चेहरों को मौका दिया था। चर्चा इस बात की है कि पार्टी सात में से तीन अथवा चार विधायकों को इस बार मौका नहीं देगी और उनके जगह पर अन्य को चुनाव लडऩे का मौका दिया जाएगा।

इसीलिए कुछ सीटों पर भाजपा की ओर से दावेदारी करने वाले नेताओं की संख्या 10 से 15 के बीच हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी ने उज्जैन उत्तर से विनोद शर्मा एवं उज्जैन दक्षिण से शैलेंद्र सिंह रुपावत एवं शिवसेना ने उज्जैन दक्षिण से पंकज मंडलोई को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। जो कि अपने-अपने क्षेत्रों में जनसंपर्क भी कर रहे है।ं इधर भाजपा ने भी महाजनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है।

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