- भस्म आरती: बाबा महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार त्रिपुण्ड, भांग, चन्दन अर्पित करके किया गया!
- भस्म आरती: राजा स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, त्रिपुण्ड, त्रिनेत्र, चन्दन और फूलों की माला अर्पित कर किया गया दिव्य श्रृंगार
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ऐसी भक्त:बचपन से महाकाल के आंगन में रही, पचास साल सेवा की, पूरी संपत्ति मंदिर को सौंप ली अंतिम सांस
महाकाल के ऐसे भी भक्त हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन मंदिर के आंगन में सेवा करते गुजार दिया। आजीवन जो भी मिला, उसे मंदिर को सौंप दिया। ऐसी ही एक भक्त सरोजिनी कापड़निस उर्फ बेबी ने गुरुवार को अंतिम सांस ली। उन्हें 10 दिन पहले बीमार होने पर मंदिर समिति की ओर से पुष्पा मिशन अस्पताल में भर्ती करवाया था।
हरसिद्धि से निकली अंतिम यात्रा में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति सदस्य, प्रशासक, सहायक प्रशासक, कर्मचारी शामिल थे। चक्रतीर्थ पर अंतिम संस्कार किया गया। महाकाल मंदिर एक कूबड़ निकली वृद्धा बेबी कहां से आई थी। इस संबंध में किसी को जानकारी नहीं है। 75 वर्षीय बेबी ने पूरा जीवन महाकाल की सेवा में गुजार दिया।
अंतिम समय में अपनी पूरी संपत्ति महाकाल को अर्पित करने घोषणा भी की। उसके दस्तावेज भी सौंपे। बेबी महाकाल की अनन्य भक्त थीं। कहा कि उनकी मृत्यु के बाद यह सारी संपत्ति महाकाल मंदिर की होगी। सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि उनके नाम बैंक में 1.60 लाख रुपए की फिक्स डिपाॅजिट और करीब दो लाख रुपए बैंक खाते में हैं।
सफाई, आरती के पहले व्यवस्था सब सेवा मानती थी
मंदिर, कोटितीर्थ कुंड की तरफ सफाई करते उन्हें आसानी से देखा जा सकता था। आरती के दौरान व्यवस्था में भी वह सहयोग करती थी। निर्माल्य की टोकरी उठाना, श्रद्धालुओं को राह िदखाना, उनकी दिनचर्या में शामिल था। वे नियमित दर्शनार्थी थी और सेवार्थी भी। जूना महाकाल में एक लंबे अरसे तक रही। स्वास्थ्य खराब होता तो मंदिर प्रबंध समिति की ओर से उनकी देखभाल की जाती थी। दो चोटी करना उन्हें पसंद था।
अविवाहित थी बेबी
बेबी अविवाहित थी। जन्म कहां हुआ, परिजन कौन थे, कहां तक पढ़ी-लिखी, अफसर-कर्मचारियों को भी ज्यादा जानकारी नहीं है। कहते हैं वे हिंदी के अलावा अंग्रेजी व मराठी भी जानती थी। मंदिर में रहती थी। उन्हें भक्तों की ओर से भी जो कुछ रुपए-पैसे मिलते, उसे भी जमा करती थी।
उत्तरकार्य भी करेंगे
अंतिम यात्रा में मंदिर समिति सदस्य प्रदीप गुरु, प्रशासक गणेशकुमार धाकड़, सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल, आरके तिवारी आदि शामिल थे। चक्रतीर्थ पर अंतिम संस्कार किया गया। उत्तरकार्य भी करेंगे। इसके अलावा श्राद्धकर्म और बरसी भी समिति की ओर से की जाएगी।