गंभीर डेम के आसपास के गांव में कम पानी की फसल लेने हेतु जागरूकता अभियान चलाया जायेगा, गेहूं की बजाय सरसो व चने की बुवाई होगी

भीर डेम का पानी पूर्णत: पेयजल के लिये संरक्षित है। इस पानी से आसपास के गांवों में की जाने वाली सिंचाई को रोकने के लिये पेयजल परिरक्षण अधिनियम का उपयोग किया जाता है, किन्तु इसके पहले कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे की पहल पर कृषि विभाग, राजस्व विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारी मिलकर उज्जैन, बड़नगर एवं घट्टिया तहसील के गंभीर डेम के आसपास के गांवों में कम पानी की फसल बोने हेतु जागरूकता अभियान चलायेंगे।

नगर निगम आयुक्त श्री आशीष सिंह ने इस सिलसिले में आज मेला कार्यालय में कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारी एवं उज्जैन व बड़नगर के एसडीएम की बैठक लेकर इस जागरूकता अभियान को प्रारम्भ करने के निर्देश दिये। उन्होंने सभी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि वे इस क्षेत्र के बड़े काश्तकारों को कम पानी की फसल जिसमें सरसों व चना शामिल है, बोने के लिये राजी करे। इस हेतु वे निरन्तर ग्रामीण क्षेत्र का भ्रमण करें। उन्होंने कहा कि यदि कृषक मान जाते हैं तो इस क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति नहीं बनेगी और गंभीर डेम का पानी पेयजल के लिये संरक्षित हो जायेगा।

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