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गुजरात-महाराष्ट्र-दिल्ली के श्रद्धालुओं के आने से फिर लौटी रौनक
2020 का आखिरी संडे महाकाल के नाम रहा। ऑनलाइन परमिशन की 12000 परमिशन फुल रही। इसके अलावा 5 हजार श्रद्धालुओं ने प्रोटोकॉल और सशुल्क दर्शन किए। श्रद्धालुओं का आवागमन बढ़ जाने के बावजूद मंदिर और होटल व्यवसायियों को फायदा नहीं हो रहा। श्रद्धालु रुक नहीं रहे, क्योंकि तड़के होने वाली भस्मआरती में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद है।
साल के अंत में तीन दिन की छुट्टियां आने से महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है। शुक्रवार से ही मंदिर में गहमागहमी बढ़ने लगी थी। शनिवार और रविवार को भी सामान्य श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगीं। सामान्य श्रद्धालुओं को रोक-रोक कर छोड़ा गया ताकि कोरोना गाइड लाइन का पालन कराया जा सके। प्रोटोकॉल और सशुल्क दर्शन कतार पर भी श्रद्धालुओं को पर्याप्त दूरी से दर्शन के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
कोरोना के बाद 27 मार्च से मंदिर में प्रवेश रोक दिया गया था। इसके बाद 8 जून से ऑनलाइन प्री-परमिशन से प्रवेश शुरू किया गया है। मंदिर समिति के मोबाइल एप पर ऑनलाइन बुकिंग कराकर श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं। मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल के अनुसार मोबाइल एप पर 12 हजार श्रद्धालुओं की बुकिंग रोज की जाती है। तीन दिन से बुकिंग फुल चल रही है। इसके अलावा सशुल्क सुविधा का भी श्रद्धालु लाभ ले रहे हैं। प्रोटोकॉल से भी दर्शनार्थी आ रहे हैं। रोज औसत 17 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन लाभ ले रहे हैं।
बाहरी दर्शनार्थियों पर कोरोना का असर
साल के अंत में गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली के ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। कोरोना का असर है कि गुजरात, महाराष्ट्र व दिल्ली से श्रद्धालु कम आ रहे हैं। अधिकांश श्रद्धालु निजी वाहनों से पहुंच रहे हैं। ट्रेन और अन्य परिवहन सुविधाएं पूरी तरह बहाल नहीं होने से भी श्रद्धालुओं की संख्या कम हुई है। महाराष्ट्र, दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु ट्रेनों और बसों से आते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते लोग सार्वजनिक परिवहन वाहनों में यात्रा से बच भी रहे हैं। इसका असर भी श्रद्धालुओं की संख्या पर दिख रहा है।
होटल, यात्री गृहों में 50 फीसदी कारोबार
होटल संचालक रवि सोलंकी के अनुसार बाहर से यात्री आ रहे हैं लेकिन होटल में रुक नहीं रहे हैं। यात्री ऐसा शेड्यूल बनाकर आते हैं कि सुबह मंदिर पहुंच जाएं तथा दिन में दर्शन कर लौट जाएं। होटल और यात्री गृह आधे खाली हैं। शहर में 20 बड़े और छोटे होटल व यात्री गृह आदि की संख्या करीब 450 है। होटल संचालक अजय तिवारी कहते हैं कि भीड़ दिख रही है लेकिन लोग रुक नहीं रहे हैं। इसका एक कारण भस्मआरती में प्रवेश शुरू नहीं होना भी है। जो लोग भस्मआरती में आते हैं वे रात होटल आदि में रुकते हैं।
सशुल्क दर्शन के लिए भस्मआरती द्वार से प्रवेश
रविवार को भीड़ बढ़ जाने के कारण पुराने भस्मआरती द्वार से सशुल्क दर्शन सुविधा वालों को प्रवेश शुरू किया गया। इससे एक ही द्वार पर ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं जुटी।