- बाबा महाकाल की शरण में पहुंची प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धर्मपत्नी जशोदा बेन, भोग आरती के बाद गर्भगृह की देहरी से पूजा-अर्चना की।
- भस्म आरती: रौद्र रूप में सजे बाबा महाकाल, धारण किया शेषनाग का रजत मुकुट, रजत मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगन्धित फूलों की माला
- बाबा महाकाल की शरण में पहुंचे प्रतिभाशाली गेंदबाज आकाश मधवाल, गर्भगृह की देहरी से की बाबा महाकाल की पूजा-अर्चना
- भस्म आरती: मस्तक पर त्रिपुण्ड, भांग, चन्दन और चंद्र से राजा स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, धारण की गुलाब के सुगंधित पुष्पों से बनी माला
- भस्म आरती में शामिल होकर क्रिकेट जगत के सितारों ने लिया बाबा महाकाल का आशीर्वाद, करीब दो घंटे तक नंदी हॉल में बैठकर की भगवान की आराधना
ग्यारह सौ एक दीप जलते हैं देवी के दरबार में:उज्जैन में 2 हजार साल पुराना है हरसिद्धि मंदिर
उज्जैन में करीब दो हजार साल पुराना हरसिद्धि मां देश के 51 शक्तिपीठों में से है। हरसिद्धि माता उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी हैं। हरसिद्धि माता मंदिर में छत पर श्रीयंत्र बना हुआ है। इसका तांत्रिक महत्व भी बताया जाता है। मंदिर में दो स्तंभों पर ग्यारह सौ एक दीप जलाए जाते हैं। इसी स्थान के पीछे भगवती अन्नपूर्णा की सुंदर प्रतिमा है। तंत्र साधना के लिए भी मां हरसिद्धि की आराधना की जाती है।
मंदिर की मान्यता और प्रसिद्धि के बारे में जानिए…
पंडित महेश पुजारी ने बताया शास्त्रों मे प्रचलित कथा के अनुसार माता सती के पिता राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था। जिसमें सारे देवी-देवता को आमंत्रित किया गया। लेकिन, उनके जमाता भगवान शिव को यज्ञ में नहीं बुलाया गया। जब ये बात माता सती को पता चली तो शिव का ये अपमान सहन नहीं हुआ और अपने आप को अग्नि के हवाले कर दिया। ये सब देख भगवान शिव माता सती का मृत शरीर उठाकर पृथ्वी के चक्कर लगाने लगे।
शिव को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर माता सती के अंग के 51 टुकड़े कर दिए। जहां-जहां माता सती के शरीर टुकड़े गिरे वहां-वहां शक्ति पीठों का निर्माण हुआ। मान्यता है कि उज्जैन के इस स्थान पर सती माता की कोहनी गिरी थी। इस मंदिर का नाम हरसिद्धि पड़ा। मां हरसिद्धि उज्जैन के राजा रहे विक्रमादित्य की आराध्य देवी हैं। इस मंदिर में राजा विक्रमादित्य रोज आते थे।
यहां के दो दीप स्तंभ में 1101 दीपक
परिसर में दो दीप स्तम्भ हैं, जिसमें 1101 दीपक जलते हैं। शाम को आरती के समय दीप प्रज्वलित किए जाते हैं। इन दीपों को प्रज्वलित करने के लिए करीब 60 किलो तेल लगता है। चार लोग मिलकर एक साथ दीपों में पहले रुई लगाकर तेल भरते हैं और जब आरती शुरू होती है तब एक साथ दीपों को प्रज्वलित कर देते हैं।
इस पूरी प्रक्रिया में करीब 2 घंटे का समय लगता है। इन जलते हुए दीप स्तम्भों को देखने के लिए भी श्रद्धालु दूर-दूर से उज्जैन पहुंचते हैं। दीपक में डालने के लिए तेल देने के लिए साल भर का इंतजार करते हैं। दीपमाला में तेल देने के लिए नवरात्रि के करीब एक माह पहले ही पूरे नौ दिन की बुकिंग हो जाती है।
हर सवारी में महाकाल मिलने आते हैं मां से
सावन-भादौ के महीने में निकलने वाली महाकाल की सात सवारी में नगर भ्रमण पर निकलने के दौरान भगवान महाकाल मां हरसिद्धि से मिलने आते हैं। इस मौके पर आरती व आतिशबाजी की जाती है।
रोज होंगे आयोजन
यहां प्रतिदिन देवी भागवत कथा दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन श्री हरसिद्धि भक्त मंडल एवं मंदिर प्रबंध समिति मिलकर कराएगी। रोज सुबह 10 बजे भोग प्रसादी, शाम को दीपमालिका आरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया जाएगा।