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तो ये अस्पताल बना देश का पहला एडवांस लाइफ सपोर्ट सुविधा देने वाला
उज्जैन | जिला अस्पताल देश का पहला ऐसा शासकीय चिकित्सालय बन गया है, जो अत्यंत गंभीर मरीजों को एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध करवाएगा। इससे हार्ट अटैक और दुर्घटना में गंभीर घायल मरीजों को घटनास्थल से अस्पताल लाने तक एंबुलेंस में ही आवश्यक उपचार दिया जा सकेगा। एंबुलेंस में डॉक्टर की टीम २४ घंटे मौजूद रहेगी, जो मरीजों का उपचार देगी। गुरुवार को एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस का लोकापर्ण केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोद ने किया।
सिविल सर्जन डॉ. राजू निदारिया ने बताया कि अत्याधुनिक एम्बुलेंस की मदद से दुर्घटना में गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल पहुंचाने के दौरान रास्ते में एंबुलेंस में ही तुरन्त प्राथमिक चिकित्सा और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी। इससे उन नाजुक पलों में कई लोगों को बचाया जा सकेगा। इस अत्याधुनिक एंबुलेंस की लागत 25 लाख रुपए है, जो सामाजिक एवं न्याय विभाग के केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोद के मद से लाई गई है। दो एंबुलेंस जिला अस्पताल में संचालित की जाएगी, जो गंभीर मरीजों का लाने ले जाने और शिफ्टिंग का काम करेंगी। टोल फ्री नंबर १०२ पर काल करके इस सुविधा का लाभ लिया जा सकता है। केवल गंभीर मरीजों के लिए ही इस एंबुलेंस का उपयोग किया जाएगा।
जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र का लोकार्पण
इस मौके पर अस्पताल के पीछे निर्मित जिला दिव्यांग पुर्नवास केंद्र का लोकार्पण भी किया गया। कलेक्टर ने बताया कि जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र की स्थापना जिला चिकित्सालय के पीछे किये जाने के पीछे प्रमुख उद्देश्य यह था कि यहां हर समय चिकित्सक उपलब्ध रहते हैं और डीडीआरसी मेडिकल बोर्ड का एक बहुत बड़ा भाग होता है। अत: दिव्यांगजनों को सभी स्वास्थ्य सुविधाएं तत्काल मुहैया कराई जा सके। इस केन्द्र को 30 लाख रुपए से अधिक की लागत से तैयार किया गया है और 30 लाख रुपए के विभिन्न उपकरण शिविर में दिव्यांगों के लिए उपलब्ध कराए गए हैं।
दिव्यागों को देंगे विशिष्ट पहचान पत्र
सामािजक न्याय विभाग के केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोद ने बताया कि देश में लगभग 250 जिलों में पुनर्वास केन्द्र स्थापित किए गए हैं। इस केन्द्र में दिव्यांगजनों की विभिन्न समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जाएगा। दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण में पूरी दुनिया के समक्ष भारत सरकार ने एक विशिष्ट पहचान बनाई है। इसी दिशा में पांच गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड भी दर्ज किए गए हैं। दिव्यांगजनों के लिए यूनिवर्सल आईडेंटिटी कार्ड भी बनाए जा रहे हैं, जो कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य होंगे। देश के 24 प्रदेशों में यह काम प्रारम्भ हो गया है। इनमें से 11 प्रदेश ऐसे हैं, जो इस कार्य में अग्रणी हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि 11 अग्रणी राज्यों में मध्य प्रदेश सभी में अव्वल है। मध्य प्रदेश में दो लाख से अधिक दिव्यांगजनों के यूनिवर्सल आईडी कार्ड बन चुके हैं।
ये है एंबुलेंस की खासियत
– एंबुलेंस में मरीज के उपचार के लिए ऑक्सीजन की सुविधा रहेगी। ताकि गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन दी जा सके।
– इसमें ह्दयघात के मरीजों के लिए कार्डियेक मॉनिटर, ईसीजी, रक्त जांच आदि की सुविधा होगी।
– दुर्घटना में गंभीर मरीजों का रक्त स्त्राव रोकने के लिए आवश्यक संसाधन रहेंगे।
– एक डॉक्टर इस एंबुलेंस में रहेगा। जो गंभीर मरीजों को मौके से ही उपचार देना आरंभ कर देंगे।