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धनतेरस दो दिन:22 अक्टूबर को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, 23 को सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि का संयोग
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इस बार पांच दिनी दीप पर्व के दौरान धनतेरस का पर्व दो दिन 22 और 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दोनों दिन ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग शुभ और स्थायी फलदायी होगा। ज्योतिषविद् पं. आनंदशंकर व्यास के अनुसार, 22 अक्टूबर को दोपहर करीब 1 बजे से उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र लग जाएगा। इस नक्षत्र के रहते सोना-चांदी समेत संपत्ति आदि की खरीदारी शुभ रहेगी। अहम बात ये भी है कि यह नक्षत्र स्थिर लक्ष्मी का कारक माना जाता है।
ज्योतिषविद् पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, खरीदारी के लिए धनतेरस के दोनों दिन श्रेष्ठ हैं। 22 अक्टूबर को त्रिपुष्कर योग भी है। यह योग दोपहर 12.59 से शाम 4.02 बजे तक रहेगा। इस योग में किए गए कार्य का तीन गुना फल मिलता है। यानी खरीदारी समेत अन्य कार्य तीन गुना फायदे वाले होंगे।
ज्योतिषविद् आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक बताते हैं कि धनतेरस के दोनों दिन शनिवार और रविवार को प्रदोष के साथ तेरस भी है। 23 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का संयोग भी रहेगा। पं. विनोद शास्त्री के मुताबिक, खास ग्रह, योग, नक्षत्र के चलते दोनों दिन सभी कार्य शुभ फलदायी होंगे।
यम के निमित्त दीप प्रज्ज्वलन
मान्यता है कि कार्तिक मास में सूर्यास्त के समय यम के निमित्त तिल्ली के तेल का दीपक लगाने से आर्थिक प्रगति होती है। छत पर अष्टदल बनाकर तिल के तेल का दीपक लगाकर लक्ष्मी-इंद्र-यम-कुबेर के निमित्त ध्यान करने से ऐश्वर्य हासिल होता है।
शुक्र आदित्य योग में मनेगी धन तेरस, प्रदोष काल में है ऐंद्र योग
वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के आचार्य पं. गोपाल पाठक के अनुसार, इस धनतेरस पर प्रदोष काल में ऐंद्र योग बन रहा है। यह सत्ताईस योग में प्रमुख है। इस योग में खरीदारी भी समृद्धि तथा दीर्घकालिक सूचक मानी जाती है। इस दिन शुक्र आदित्य योग भी बन रहा है।
इसे समृद्धि, वैभवशाली रहन-सहन और शानो-शौकत का कारक बताया गया है। शुक्र आदित्य योग में साज-सज्जा की वस्तुएं स्वर्ण, रजत, ताम्र के आभूषण और इनसे बने यंत्र, बर्तन, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन खरीदना शुभ होता है। वहीं नया निवेश, नई मशीनरी का आरंभ, नए उद्योग का आरंभ करना लाभदायक होता है।