फिर आपदा में अवसर तलाश रहे:1500 रुपए वाला इंजेक्शन मरीजों को 5400 रुपए में

कोरोना से ग्रस्त मरीज को ठीक करने के लिए निजी अस्पताल और नर्सिंग होम जिस एंटी वायरल ड्रग का उपयोग कर रहे हैं, उसके लिए मरीजों के परिजनों से चार गुना कीमत वसूली जा रही है। रेमेडिसिवर नाम का एक एंटी वायरल इंजेक्शन निजी हॉस्पिटल में 5400 रुपए में बेचा जा रहा है। कोरोना पॉजिटिव और संदिग्ध मरीज को 6 इंजेक्शन लगाए जाते हैं। जबकि यही रेमेडिसिवर इंजेक्शन उज्जैन के चैरिटेबल हॉस्पिटल में महज 1500 रुपए में आसानी से मिल रहा है। भास्कर द्वारा कलेक्टर आशीष सिंह की जानकारी में मामला लाने के बाद एंटी वायरल ड्रग के दाम नए सिरे से रिव्यू करने के निर्देश जारी किए गए हैं।

तीन किमी की दूरी में ही घट गए रेमेडिसिवर के तीन गुना दाम

भास्कर टीम ने एंटी वायरल ड्रग को लेकर हो रही मुनाफा वसूली की पड़ताल की तो चौंकाने वाले सबूत सामने आए। 10 मार्च को सांवेर रोड स्थित एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती नागदा निवासी एक मरीज के अटेंडर को डॉक्टर ने रेमेडिसिवर इंजेक्शन लाने का कहा। मरीज हॉस्पिटल के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित मेडिकल स्टोर्स पर पहुंचा तो यहां मौजूद संचालक ने एक इंजेक्शन की कीमत 5400 रुपए बताई। साथ ही यह भी कहा कि आपको चाहिए तो आधे घंटे में मंगवा दूंगा।

महंगा इंजेक्शन है इसलिए ऑर्डर पर ही मंगवाते हैं। अटेंडर के हां कहने पर आधे घंटे में मेडिकल संचालक ने डॉ. रेड्‌डी कंपनी का रेमेडिसिवर (100 एमएल) एचएसएन नंबर-30, बैच क्रमांक जी-210006 के दो इंजेक्शन लाकर दे दिए। मेडिकल संचालक ने दो इंजेक्शन की कीमत 10800 का बिल भी बनाकर दिया। चूंकि हम डॉक्टरी पेशे को बेहद पवित्र मानते हैं, इसलिए इस हॉस्पिटल और मेडिकल स्टोर्स का नाम सार्वजनिक नहीं कर रहे। बिल की प्रति भास्कर के पास सुरक्षित है।

नर्सिंग स्टाफ बोला- 4 इंजेक्शन और लेकर आओ

इसी दिन दोपहर में मरीज को इंजेक्शन लगाने आए मेल नर्स ने कहा कि आप दो ही इंजेक्शन लाए हो। अटेंडर ने कहा कि इंजेक्शन महंगा है, रोज एक लाकर दे देंगे। इस पर मेल नर्स ने कहा कि रोज लेकर आना मगर ध्यान रहे दोपहर में रोज इंजेक्शन लगेगा। इस पर अटेंडर ने भास्कर से मदद मांगी। भास्कर रिपोर्टर ने पड़ताल की तो पता चला कि निजी हॉस्पिटल से सिर्फ तीन किमी दूर निकास चौराहा स्थित चैरिटेबल हॉस्पिटल में रेमेडिसिवर इंजेक्शन कम दरों पर मिलता है, क्योंकि हॉस्पिटल का संचालन ट्रस्ट के अधीन है।

अटेंडर को लेकर 10 मार्च की रात 8 बजे रिपोर्टर चैरिटेबल पहुंचा तो हैरत में पड़ गया। यहां डॉ. रेड्डी कंपनी के ही 4 इंजेक्शन (बैच क्रमांक जी-210007) के लिए मेडिकल संचालक महेशजी ने मात्र 6 हजार का बिल बनाकर दिया। इस पर रिपोर्टर ने महेश को कहा कि आपसे भूल हो गई है, आपने लगता है गलत बिल बना दिया है। हमें आपने 4 इंजेक्शन दिए हैं। इस पर वे बोले- बिल सही है और इंजेक्शन भी मैंने 4 ही दिए हैं।

एक इंजेक्शन की कीमत 1500 ही है। मेडिकल संचालक ने यह भी कहा कि हमें इंजेक्शन 1400 में आगे से आ रहा है। हम 100 रुपए सेवा शुल्क ले रहे हैं। गौरतलब है कि निजी हॉस्पिटल से लिए गए इंजेक्शन के पैक पर कीमत 5400 रुपए ही दर्ज थी। इतनी ही कीमत चैरिटेबल के मेडिकल से लिए इंजेक्शन पर भी दर्ज थी। भास्कर रिपोर्टर की समझ में यह नहीं आया कि जब रेमेडिसिवर इंजेक्शन कोरोना संदिग्ध मरीजों पर प्रभावी है तो क्योंकर इसके दाम निर्धारित नहीं किए जाते।

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