मजबूर सफर:कोरोना के डर से राजस्थान से कंधे और सिर पर सामान लादकर पैदल ही उज्जैन लौटे मजदूर

राजस्थान में भले ही लॉकडाउन नहीं लगा लेकिन कोरोना के डर से वहां काम कर रहे उज्जैन जिले के मजदूर लौट आए। राजस्थान की सीमा तक वाहन से पहुंच गए लेकिन इसके बाद सिर और कंधे पर सामान लादकर पैदल ही सफर करना पड़ा। यह मजदूर उज्जैन पहुंच गए है और अभी 70 किलोमीटर का सफर कर अपने गांव पहुंचना है। मजदूरों के लिए राहत वाली बात यह रही कि रास्ते भर लोगों ने उन्हें भोजन-पानी कराया।

मध्यप्रदेश में पहले से ही लॉकडाउन लगा है और राजस्थान में भी अब कोरोना तेजी से पांव पसार रहा है। ऐसे में उज्जैन जिले के झारड़ा के नरखेड़ी गांव से राजस्थान के जोधपुर में मजदूरी कर रहे 22 लोग वहां से निकल पड़े। झारड़ा के नरखेड़ी गांव के बद्री ने बताया कि तीन दिन पहले जोधपुर के पास रामदेवरा से चले थे। वहां जैसे ही पता चला कि राजस्थान में भी लॉकडाउन लग सकता है तो अपना दो महीने का बचा हुआ काम छोड़कर अपने गांव के लिए हम 22 लोग निकल गए। राजस्थान सीमा तक तो वाहन मिल गया लेकिन मध्य प्रदेश मे आते ही लॉकडाउन के चलते पैदल ही चलना पड़ रहा है। बद्री ने बताया कि रस्ते भर कई लोग मानवता के नाते सभी को भोजन खाने पीने का सामान उपलब्ध करवा रहे है।

राजस्थान से वाहनों के सहारे मध्य प्रदेश की सीमा तक पहुंचे मजदूरों को उज्जैन से 230 किमी दूर निम्बाहेड़ा के बाद वाहन नहीं मिले। ऐसे में वहीं से पैदल यात्रा शुरू की। झारड़ा निवासी उपमा बाई ने बताया कि मध्यप्रदेश में लॉकडाउन की वजह से सामान लादकर पैदल ही चलना पड़ रहा है। उज्जैन आने के बाद अभी और सफर बाकी है। हालांकि उज्जैन में भी आम लोग ऐसे मजदूरों की सेवा करते नजर आए और उन्होंने इस गर्मी के माहौल में सभी 22 मजदूरों के लिए छाछ मट्ठे का इंतजाम भी किया।

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