मन्नत की खातिर लोग क्या-कुछ नहीं करते, रस्सी से बांधकर हवा में घुमाया

उज्जैन | आधुनिक युग में आज भी कुछ परंपराएं जीवंत हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपनी मन्नत की खातिर क्या-कुछ नहीं करते। ऐसा ही कुछ मामला सामने आया है। बडऩगर तहसील के ग्राम बंगरेड में। जी हां…यहां धधकते अंगारों पर तो लोग चलते ही हैं, साथ ही मन्नतधारियों को रस्सी से बांधकर हवा में गोल-गोल घुमाते हैं, जिससे मनोकामना शीघ्र पूरी हो…।

होली पर आयोजित होता है मेला
बडऩगर तहसील के ग्राम बंगरेड में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी होली पर आयोजित मेले में महिला व पुरुष हाथ में कलश लेकर नंगे पैर धधकते अंगारों पर से निकले। वहीं मन्नतधारी को रस्सी से बांधकर हवा में घुमाकर चक्कर भी लगवाए। गोल घुमाने व चूल पर चलने की इस गांव में वर्षों पुरानी परम्परा है, जिसका निर्वाहन आज भी किया जाता है।

बड़ी संख्या में आते हैं लोग
होली पर आयोजित इस मेले में अपनी मन्नत की खातिर दूर-दराज गांवों से ग्रामीणजन बड़ी संख्या में यहां आते हैं। सुबह से ही यह आयोजन शुरू हो जाता है, जो दिनभर चलता है। ढोल की थाप पर लोग नारियल आदि चढ़ाते हैं और मन्नत मांगने के लिए हर परेशानी से गुजरने को तैयार रहते हैं।

धधकते अंगारों पर गुजरा आस्था का कारवां
जगोटी चैतन्य हनुमान मंदिर बावड़ी पर इस वर्ष भी चूल का आयोजन हुआ, जिसमें अपनी मन्नत को पूरी करने के लिए दोपहर १ बजे श्रद्धालु भक्त अपनी आस्था का प्रतीक पूजा कलश लेकर दहकते अंगारों पर निकले। इसमें सैकड़ों महिला पुरुष और बच्चे शामिल हुए।

गोबर से बने बुलबुले व नारियल किए अर्पण
गोबर से बने बुलबुले व नारियल होलीका पर अर्पण किए गए। वहीं धुलेंडी की शाम 5 बजे से ग्राम के शिव ओटले पर सैकड़ों मन्नतधारी महिला व पुरूष भक्त धधकते अंगारों से गुजरकर भगवान शिव को जल अर्पण किया। साथ ही शीतला माता चौक में धुलेंडी पर होली मिलन समारोह का आयोजन हुआ। संस्था अध्यक्ष किशोर भाई ने बताया कि होली मिलन समारोह का आयोजन शाम 4 बजे रखा गया जिसमें फाग उत्सव व भजन संध्या का आयोजन हुआ।

गांव में गेर का आयोजन
गांव में गैर निकालकर घर-घर जाकर गमी की होली को समाप्त किया। गांव के वसूली पटेल रामसिंह द्वारा सभी समाज के घर जाकर रंग डाला वहीं से गमी की होली समाप्त हुई। चैतन्य बालाजी मंदिर के समीप होली का दहन गांव के पटेल एवं ग्राम पंचायत सरपंच प्रतिनिधि अशोक हाड़ा की उपस्थिति में आम सभा का आयोजन किया। गांव में होने वाले पूजन पाठ, साफ एवं स्वच्छ रखने का भी संकल्प लिया। इसके बाद गांव में दो दिवसीय मेला प्रारंभ हुआ। १०० वर्षों से लगने वाला मेला गल देवता की कृपा से धूमधाम के साथ होने जा रहा है। ऐसी किवदंती है कि पहले गांव की खुशहाली एवं गांव के विकास के लिए नागरिक गल देवता के यहां मन्नत रखकर उनके समक्ष लगने वाली अग्नि पर नंगे पैर से निकलकर गांव की खुशहाली के लिए मन्नत करते थे, लेकिन अब पूजन पाठ कर दो दिवसीय मेला 3 मार्च से हुआ। आसपास के ग्रामीण इस मेले में खरीददारी करते हैं। ग्राम पंचायत सुमराखेड़ा द्वारा मेले में पानी व लाइट की व्यवस्था की गई है।

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