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महाकाल मंदिर की 8 महीने में 1.35 अरब की इनकम:खर्च भी ढाई करोड़ से तीन गुना बढ़कर 8 करोड़ प्रतिमाह हुआ, रिकॉर्ड श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
उज्जैन का महाकाल मंदिर आय के मामले में अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हो गया है। महाकाल लोक बनने के बाद मंदिर समिति को एक अरब 35 करोड़ 66 लाख 91 हजार की आय हुई है। ये आय 1 जनवरी से 12 सितंबर 2023 तक है। इसमें गर्भगृह दर्शन, शीघ्र दर्शन, भस्म आरती, लड्डू बिक्री, अनुमति समेत दान पेटी से मिला दान शामिल है। इस दौरान 3 करोड़ 50 लाख से ज्यादा भक्तों ने बाबा के दर्शन किए। आय बढ़ने के साथ मंदिर समिति का खर्च भी बढ़कर तीन गुना हो गया है। महाकाल लोक से पहले खर्च करीब ढाई करोड़ प्रतिमाह था, लेकिन अब 8 करोड़ रुपए प्रति महीने खर्च हो रहे हैं।
11 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक का लोकार्पण किया था। इसके बाद से देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। यहां आकर दान के साथ मंदिर समिति की ओर से चलने वाली व्यवस्थाओं का लाभ भी ले रहे हैं। इसी वजह से मंदिर समिति की आय में बढ़ोतरी हुई है। महाकाल मंदिर में लगी दान पेटियों के अलावा ऑनलाइन सुविधा का फायदा उठाकर भी भक्त एडवांस बुकिंग कर दान कर रहे हैं।
2022-2023 की बात करें तो ये आंकड़ा और भी चौंकाने वाला है। सितंबर 2022 से 31 अगस्त 2023 तक 12 महीने में महाकाल मंदिर की 1 अरब 80 करोड़ की आय हुई। वहीं, 2021 सितंबर से अगस्त 2022 तक 81 करोड़ की आय हुई थी। साल 2023 खत्म होने में अभी तीन महीने बचे हैं।
कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि उज्जैन में रोजाना डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु आ रहे हैं। भक्तों की संख्या बढ़ने से दान भी दोगुना से ज्यादा हो गया है। ऐसे में आय भी एक अरब पार कर गई है। श्रद्धालुओं की आमद के हालात ये हैं कि उज्जैन में शुक्रवार से सोमवार तक होटल मिलना मुश्किल हो गया है।
सावन-भादौ में 25.10 करोड़ आय
सावन और भादौ के दो महीने में मंदिर समिति को दान, भस्म आरती, बुकिंग और अन्य साधनों से 25 करोड़ 10 लाख की आय हुई, जबकि लड्डू प्रसाद से 15.35 करोड़ रुपए मिले हैं। मंदिर आने वाले भक्तों ने लड्डू प्रसाद खरीदने का भी रिकॉर्ड बनाया है। 1 जनवरी से 12 सितंबर तक 38 करोड़ 56 लाख 34 हजार 888 रुपए के लड्डू बिके हैं।
5 महीने में ही 91 करोड़ की इनकम
अप्रैल से 12 सितंबर तक की बात करें, तो महाकाल मंदिर समिति को शीघ्र दर्शन, लड्डू प्रसाद, भेंट पेटी, भस्म आरती समेत अन्य साधनों से 91 करोड़ 65 लाख रुपए मिले, जबकि दो महीने से नंदी हॉल आम भक्तों के लिए बंद है। मंदिर समिति की नंदी हॉल दर्शन के माध्यम से प्रत्येक दर्शनार्थी से 750 रुपए की आय होती है।
सिंहस्थ कुंभ का भी रिकॉर्ड टूटा
उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन 2016 में 22 अप्रैल से 21 मई के बीच क्षिप्रा नदी के तट पर किया गया था। प्रदेश सरकार ने दावा किया था कि सिंहस्थ में 8 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे थे। इस दौरान महाकाल मंदिर में 1.75 करोड़ श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। इस बार अधिक मास होने से भक्तों की संख्या का भी रिकॉर्ड टूट गए। अलग-अलग एंट्री पॉइंट पर लगी हेड काउंटिंग मशीन से रिकॉर्ड भक्तों की संख्या को मंदिर समिति ने जारी किया है।
मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि 4 जुलाई से 11 सितंबर तक 2 करोड़ 39 लाख 58 हजार भक्तों ने दर्शन किए। इनमें कई क्रिकेटर, फिल्मी हस्तियां और राजनेता सहित आम भक्त शामिल हैं।
8 महीने में 3.50 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
1 जनवरी से 12 सिंतबर 2023 तक 224 दिनों में रोजाना डेढ़ लाख से ज्यादा और विशेष दिनों जैसे 15 अगस्त, महाशिवरात्रि, सावन महीना, नाग पंचमी समेत अन्य पर्व पर भक्तों की संख्या 3 से 5 लाख तक पहुंच गई। बीते आठ महीने में 3 करोड़ 50 लाख से श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शन किए हैं।
आय बढ़ने की वजह ऑनलाइन सुविधाएं भी
महाकाल लोक के अलावा ऑनलाइन सुविधा का उपयोग बड़ी संख्या में श्रद्धालु करने लगे हैं। एडवांस बुकिंग कर मंदिर समिति को दान कर रहे हैं। मंदिर समिति ने गर्भगृह दर्शन, शीघ्र दर्शन, भस्म आरती अनुमति सभी को ऑनलाइन कर दिया है। महाकाल मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि भस्म आरती की अनुमति पहले से ऑनलाइन बनती थी, लेकिन कुछ दिनों पहले ही गर्भगृह परमिशन और शीघ्र दर्शन दोनों को ऑनलाइन कर दिया, जिससे भक्तों को घर बैठे परमिशन मिल जाती है। पहले कई लोग बिना शुल्क चुकाए मंदिर में सुविधाओं का लाभ लेते थे, लेकिन अब सब बंद हो गया है। इसका असर मंदिर समिति की आय पर पड़ा है।
आठ महीने में 38 करोड़ रुपए के लड्डू बिके
महाकाल मंदिर में मिलने वाले लड्डू प्रसादी की देश भर में डिमांड है। देश-विदेश से आए श्रद्धालु अपने साथ लड्डू बतौर प्रसादी ले जाते हैं। महाकाल लोक बनने के बाद लड्डू प्रसादी की बिक्री भी बढ़ गई। आठ महीने में लड्डू प्रसादी बिकने का आंकड़ा 38 करोड़ 56 लाख पर पहुंच गया।
ऑनलाइन होने से बढ़ रही एडवांस बुकिंग
समिति ने सप्ताह के चार दिन मंगलवार से शुक्रवार तक दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक भक्तों को गर्भगृह से नि:शुल्क दर्शनों की व्यवस्था की है। वहीं, सुबह 7.30 से दोपहर 12 बजे और शाम 6 से रात 8 बजे तक सशुल्क दर्शन कराए जा रहे हैं। सुबह व शाम के इन दो स्लाॅट में गर्भगृह में प्रवेश के लिए प्रत्येक व्यक्ति को 750 रुपए शुल्क चुकाना होता है। इसके अलावा, भस्म आरती अनुमति के लिए प्रति व्यक्ति 200 रुपए शुल्क निर्धारित है। अगर, भक्त जल्दी दर्शन करना चाहते हैं, तो वे 250 रुपये का शीघ्र दर्शन टिकट ले सकते हैं।
मंदिर का खर्च भी जान लीजिए
श्री महाकाल लोक का लोकार्पण 11 अक्टूबर 2022 में हुआ था। पहले मंदिर का क्षेत्रफल 2.82 हेक्टेयर था, जो विस्तारीकरण के बाद 47 हेक्टेयर हो जाएगा। महाकाल मंदिर में कुल 306 मंदिर समिति के कर्मचारी हैं, उनकी सैलरी से लेकर मंदिर की सुरक्षा, साफ-सफाई, कई निर्माण कार्य, मंदिर का रख रखाव, पर्व मंदिर की व्यवस्था, धर्मशाला, अन्न क्षेत्र, महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्था, गोशाला, सांस्कृतिक कार्यक्रम पर सबसे ज्यादा खर्च होता है।
इसके अलावा, महाशिवरात्रि पर्व, सावन माह, नागपंचमी समेत अन्य पर्व पर भी ज्यादा खर्च होता है। पहले मंदिर का खर्च प्रति माह 2.5 करोड़ था, जो बढ़कर करीब 8 करोड़ हो गया है।
महाकाल मंदिर में ये काम चल रहे
मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि मंदिर परिसर में कई बड़े कार्य भी किए जा रहे हैं। इसमें परिसर के डेवलपमेंट में 20 करोड़ से, टनल और परिसर का विकास 10 करोड़ से, फैसिलिटी सेंटर 3 का निर्माण 15 करोड़ रुपए से, 3 करोड़ रुपए से टॉयलेट और 45 करोड़ भक्त निवास का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ साथ प्रति वर्ष अन्य कामों में करीब 45 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं।
बाबा महाकाल के लड्डू प्रसाद की डिमांड
मंदिर में समिति द्वारा श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल का लड्डू प्रसाद (शुद्ध घी और बेसन से निर्मित) का विक्रय किया जाता है। रोजाना 50 से 60 क्विंटल लड्डू बनते हैं। यह लड्डू प्रसाद 100 ग्राम, 200 ग्राम, 500 ग्राम और एक किलो के पैकेट में उपलब्ध रहते हैं।
लड्डू प्रसाद 360 रुपए के बजाय 400 रुपए किलो में मिलने लगा है। मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि लड्डू प्रसाद का विक्रय बिना लाभ किया जाता है। भाव बढ़ने के बाद प्रसाद के पैकेट के भाव 100 ग्राम 50 रुपए, 200 ग्राम 100 रुपए, 500 ग्राम 200 रुपए और 1 किलो प्रसाद की कीमत 400 रुपए हो गई है।