इस वजह से रूक गई नानाखेड़ा स्टेडियम के विकसित होने की योजना

प्राधिकरण द्वारा निकाले गए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के तहत एक भी कंपनी ने नहीं डाला टेंडर

उज्जैन। उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा नानाखेड़ा स्टेडियम को निजी हाथों में सौंपने की कवायद धरी रह गई है। प्राधिकरण द्वारा निकाले गए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट का ऑफर के तहत एक भी कंपनी ने टेंडर नहीं डाला है। हालांकि स्टेडियम को मुंबई-पुणे की कंपनी ने रुची तो दिखाई लेकिन उन्होंने टेंडर डालने में में रुची नहीं दिखाई। ऐसे में स्टेडियम के संवरने की उम्मीद धुमिल हो गई है।
नानाखेड़ा पर १० साल से अधूरा पड़ा विजयराजे खेल स्टेडियम को विकसित करने के लिए प्राधिकरण ने अंतरराष्ट्रीय स्तर एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट का ऑफर निकाला था। इसके तहत प्राधिकरण ने २० एकड़ में फैले स्टेडियम को निजी हाथों में देने के लिए संस्थाओं के ऑफर बुलवाए थे। इसमें स्टेडियम की कीमत करीब ६० करोड़ रुपए रखी गई थी। जो कंपनी इसे लेती वह प्राधिकरण को यह राशि देने साथ स्टेडियम का विकास करती। वहीं खेल आयोजन पर शुल्क वसूलती। प्राधिकरण के एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट की तहत आवेदन करने की सोमवार को अंतिम तारीख थी। स्थिति यह रही कि शाम ५ बजे तक प्राधिकरण में किसी संस्था की ओर से कोई ऑफर नहीं मिला। जबकि प्राधिकरण पूर्व में भी एक बार इस ऑफर क तारीख बढ़ा चुका है। पीआरओ प्रवीण गेहलोत का कहना है कि स्टेडियम को लेकर ऑनलाइन आवेदन मंगवाए गए थे लेकिन शाम ५ बजे तक किसी संस्था का ऑफर नहीं मिला था।

महंगी कीमत से बनाई दूरी

नानाखेड़ा स्टेडियम नहीं लेने के पीछे इसकी महंगी कीमत होना बताया जा रहा है। स्टेडियम की कीमत ही करीब ६० करोड़ रुपए रखी गई थी। वहीं इसके विकास में १०० से १५० करोड़ रुपए खर्च होना है। संभवत: ऐसे में इतना महंगा निवेश करना किसी संस्था को रास नहीं आया।

 

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