उज्जैन में नए साल में हो पाएगा वैदिक घड़ी का लोकार्पण

काल गणना के केंद्र माने गए उज्जैन में वैदिक घड़ी की स्थापना नए साल 2024 में ही हो पाएगी। क्योंकि अब तक ना घड़ी बनी है और ना टावर का निर्माण पूरा हुआ है। अगले दो महीनों में निर्माण पूरा होगा, इसकी भी अनिश्चितता है। लोकार्पण वाले काले पत्थर पर अपने नाम की चाह रखने वालों के लिए ‘चुनाव आचार संहिता’ भी बाधा है।

अभी कुछ दिन पहले ही निगम आयुक्त ने क्लाक टावर का निर्माण 15 नवंबर तक पूर्ण करने के निर्देश दिए थे। इसके पहले उन्होंने दशहरा मैदान पर राजाभाऊ महाकाल स्टेडियम, देवास रोड पर तरणताल सहित क्लाक टावर का निर्माण जनवरी-2024 तक पूर्ण कराने के निर्देश दिए थे।

मालूम हो कि जीवाजी वेधशाला (जंतर-मंतर) में 82 फीट ऊंचे क्लाक टावर पर 30 मुहूर्त के साथ समय बताने वाली विश्व की पहली वैदिक घड़ी की स्थापना कराने को नगर निगम ने पिछले वर्ष 6 नवंबर को भूमि पूजन कराया था।

तब दावा किया था कि एक करोड़ 47 लाख रुपये से तीन महीने में क्लाक टावर का निर्माण कराकर गुड़ी पड़वा (22 मार्च 2023) को वैदिक घड़ी की स्थापना की जाएगी, मगर ऐसा न हो सका। मुख्य कारण, फाउंडेशन वर्क के लिए खोदाई करने पर जमीन से पालीथिन ही पालीथिन निकलना, फिर संशोधित ड्राइंग-डिजाइन देरी से जारी करना रही।

बाद में ठेकेदार मुकेश गंगवार द्वारा काम को भी गंभीरता से नहीं लिया। इसके लिए उस पर पेनल्टी भी लगाई। मार्च में नगर निगम ने दावा किया था कि जुलाई तक क्लाक टावर का निर्माण पूरा करवा लिया जाएगा, फिर 15 अगस्त, 5 सितंबर और आगे चलकर 31 अक्टूबर तक काम पूरा कराने के दावे किए गए।

वर्तमान में कार्य स्थल पर छूटे काम और काम की गति को देख प्रतीत होता है कि अगले दाे महीने में भी काम पूरा नहीं हो पाएगा। हो भी गया तो टावर पर वैदिक घड़ी, टेलिस्कोप स्थापित हो पाएगा या नहीं, ये कहना भी मुश्किल है। क्योंकि वैदिक घड़ी अब तक तैयार नहीं हुई है। घड़ी के निर्माण की जिम्मेदारी आरोह श्रीवास्तव को मिली है और वे अभी बीमार चल रहे हैं।

क्लाक टावर के कक्षों का उपयोग तय नहीं

क्लाक टावर में बने कक्षों का उपयोग भी अब तक तय नहीं हुआ है। व्यवस्था से जुड़े लोगों का कहना है कि कक्ष, खगोल विज्ञान की वृहद लाइब्रेरी बनाने में उपयोग लिए जा सकते हैं।

कुछ का कहना है मंत्री ने यहां सम्राट विक्रमादित्य के नौ रत्नों की प्रतिमा स्थापित कर उनसे जुड़ा साहित्य यहां रखने का सुझाव दिया है, ताकि यहां आए पर्यटक, शोधार्थी भारत के महान मनीषियों के बारे में जान सके। शोध कर कुछ नया अविष्कार कर सके।

घड़ी की ड्राइंग -डिजाइन और साफ्टवेयर तैयार

वैदिक घड़ी की ड्राइंग-डिजाइन, साफ्टवेयर तैयार है। कहा गया है कि लोग घड़ी के बैकग्राउंड में हर घंटे तस्वीर बदलते देख पाएंगे। एक वक्त में द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर, नवग्रह, राशि चक्र दिखाई देंगे तो दूसरे वक्त देश-दुनिया में होने वाले सबसे खूबसूरत सूर्यास्त, सूर्य ग्रहण के नजारे दिखाई देंगे।

एप डाउनलोड कर स्मार्ट वाच और मोबाइल में भी घड़ी के साथ इन नजारों को देखा जा सकेगा। वैदिक घड़ी के एप्लीकेशन में विक्रम पंचांग भी समाहित रहेगा, जो सूर्योदय से सूर्यास्त की जानकारी के साथ ग्रह, योग, भद्रा, चंद्र स्थिति, नक्षत्र, चौघड़िया, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएगा।

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