एक पुलिसकर्मी ने सीएम व डीजीपी को लिखी चिट्‌ठी

शहर में दो दिन मप्र सरकार की मौजूदगी के बीच पुलिसकर्मियों के प्रमोशन का दर्द भी सामने आया है। हाल में शहर के सब इंस्पेक्टर ने मुख्यमंत्री व डीजीपी को चिट्ठी लिख गुहार लगाई है कि पूरे देश में एकमात्र मप्र ही ऐसा राज्य है, जहां साल 2016 से पदोन्नति पर रोक लगी है और अब सरकार नए आदेश के तहत दस साल का पदोन्नति नियम लेकर आई है।

ऐसे में कई पुलिसकर्मी प्रमोशन से फिर वंचित रह जाएंगे। मप्र में निरीक्षक के ही 800 पद खाली पड़े हैं, ऐसे नए नियम से तो 100 पद भी नहीं भरेंगे। पदोन्नति को लेकर अधिकांश पुलिसकर्मी कई साल से इंतजार कर रहे हैं। पहले तीन साल में प्रमोशन मिलते थे फिर 2016 में पदोन्नति पर पूरी तरह रोक लग गई। इस बीच सरकार छह साल का नया नियम लेकर आई लेकिन पदोन्नति नहीं दी। अब 10 फरवरी को नया आदेश प्रदेश सरकार ने पुलिस मुख्यालय के माध्यम से जारी किया है।

इसके तहत 10 साल की सेवा पूरी करने वालों को ही उच्च पदनाम का लाभ दिया जाएगा। ऐसे में किसी एक पद पर दस साल की सेवा पूरी नहीं होने से फिर कई पुलिसकर्मी प्रमोशन से वंचित रह जाएंगे। कई तो सेवानिवृत्त तक हो चुके होंगे और उन्हें प्रमोशन का लाभ ही नहीं मिल पाएगा। उपनिरीक्षक ने मुख्यमंत्री व डीजीपी से मांग की है कि दस साल सेवा पूर्ण करने व समयमान वेतनमान के नियम को निरस्त किया जाए।

वर्तमान में प्रमोशन के अभाव में पुलिस के इतने पद खाली पड़े

निरीक्षक 800 पद खाली हैं, नए नियम के तहत अधिकतम 100 ही पदोन्नत हो पाएंगे।
इसी तरह उपनिरीक्षक 500, सहायक उपनिरीक्षक 1000 और इतने ही आरक्षक व प्रधान आरक्षक पदोन्नत होेंगे। करीब 12 हजार प्रमोशन से वंचित रह जाएंगे।

यह भी विसंगति : कनिष्ठ हो जाएंगे वरिष्ठ, विरोध होगा

यदि विभागीय रूप से पदोन्नत उप निरीक्षकों को पूर्व के प्राप्त समय का वेतनमान का लाभ दिया जाता है तो वे सीधी भर्ती के उपनिरीक्षकों से पूर्व पदोन्नत होंगे। ऐसे में जो वर्तमान में कनिष्ठ हैं वे वरिष्ठ हो जाएंगे।

70 से 80 सूबेदार विसंगति में आरआई नहीं बन पा रहे

पुलिस विभाग में 70 से 80 सूबेदार भी प्रमोशन को लेकर कई साल से परेशान हैं। वे आरआई नहीं बन पा रहे हैं, जबकि प्रदेश में आरआई के पद भी खाली पड़े हैं।

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