कभी नंबर बंद, तो कभी से देरी से पहुंचती है डायल 100

उज्जैन | पुलिस ने वारदातों से त्वरित निपटने के लिए डायल १०० योजना लागू की है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में डायल 100 वाहन दिये गये हैं जो विभिन्न चौराहों पर देर रात तक खड़े रहते हैं।
कहीं भी घटना दुर्घटना होने पर वहां पहुंच जाते हैं। लेकिन कई बार वाहन काफी देर से घटना स्थल पर पहुंचते हैं। जबकि दावा यह किया जा रहा था कि वारदात होने के बाद और जानकारी लगने पर १५ से २० मिनट के अंतराल में घटना स्थल पर वाहन पहुंच जाएगा।

कंट्रोल रूम का 100 नंबर बंद…
पीडि़त कई बार कंट्रोल रूम पर फोन लगाकर वारदात की जानकारी देना चाहता है तो उसे यह उत्तर मिलता है कि डायल १०० पर फोन लगाएं। जिससे भी पीडि़त को समय पर डायल 100 उपलब्ध नहीं हो पाती है। जबकि पूर्व में कंट्रोल रूम का नंबर १०० था। अब यह बंद हो गया है।

भोपाल लगता है फोन…
डायल १०० पर घटना की जानकारी देने के लिए फोन लगाते हैं लेकिन यह फोन सीधे भोपाल लगता है। यहीं से डायल १०० संचालन किया जाता है। जिसके कारण देरी से सूचना मिलती है। क्योंकि इसका कारण यह भी बताया जा रहा है कि भोपाल से संबंधित स्थान व थाने का पता पूछा जाता है परंतु कई बार पीडि़त को संबंधित थाना क्षेत्र और स्थान की जानकारी नहीं होती है। इस वजह से भी वाहन पहुंचने में देरी हो जाती है।

हर थाना क्षेत्र को मिली एक डायल 100
शहर में नौ थाने हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्र में १८ थाने हैं। सभी थाना क्षेत्रों को एक एक डायल 100 मिली हुई है। जो चौराहों पर खड़ी रहती है। घटना दुर्घटना होने पर यह वाहन मौके पर पहुंचता है।

लगाने पड़ते हैं धक्के…
कई वाहन ऐसे हो गए हैं घटना की जानकारी मिलने पर वाहन चालू नहीं होते हैं और कई बार वाहनों को धक्के लगाकर चालू करना पड़ता है।

भोपाल से ही संचालित हो रही है योजना
अभी जिले के कंट्रोल रूम से डायल 100 की योजना संचालित नहीं हो रही है। भोपाल से ही इस योजना का संचालन किया जा रहा है।
कंट्रोल रूम प्रभारी उज्जैन

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