कालिदास कॉलेज में ताला बंदी कर छात्राएं पहुंची ऊर्जा मंत्री के निवास

उज्जैन। बियाबानी के पास स्थित कालिदास कॉलेज में रोजाना की तरह पहुंची लेकिन आज छात्राएं दूसरी बिल्डिंग में कॉलेज को शिफ्ट करने की मांग मनवाने के लिये आंदोलन के मूड में थीं। छात्रा संघ की अध्यक्ष ने कॉलेज के मुख्य चैनल गेट पर ताला लगा दिया और प्राचार्य सहित किसी भी स्टाफ कर्मी को अंदर प्रवेश नहीं दिया। कुछ ही देर में सैकड़ों की संख्या में छात्राएं कॉलेज में एकत्रित हो गईं और उसके बाद रैली के रूप में ऊर्जा मंत्री के निवास पहुंचकर अपनी मांग रखी।
छात्रासंघ की अध्यक्ष दीक्षा शर्मा ने चर्चा में बताया कि एक ओर देश के प्रधानमंत्री बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना चला रहे हैं वहीं दूसरी ओर बेटियां खंडहर में तब्दील होते जा रहे जर्जर कालेज भवन में पढऩे को मजबूर हैं। छत का प्लास्टर और कांक्रीट जब-तब सिर पर गिरता रहता है, इससे कई बार छात्राएं व टीचर घायल हो चुके हैं। शासकीय कालिदास कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 1600 छात्राएं अध्ययनरत हैं।

बिल्डिंग जर्जर होने के कारण यहां नवीन पाठ्यक्रम तक प्रारंभ नहीं हो रहे हैं। पूर्व में कॉलेज में छात्राओं ने आंदोलन किया था तो नवीन भवन का निर्माण पूर्ण होने के तुरंत बाद कॉलेज शिफ्ट करने का आश्वासन मिला लेकिन महीनों गुजर जाने के बाद भी न तो नवीन बिल्डिंग का काम पूरा हुआ और न ही कॉलेज को शिफ्ट करने की तरफ किसी ने ध्यान दिया। तमाम परेशानियों के बीच छात्राओं को यहां अध्ययन करना पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने किया था नवीन बिल्डिंग का शिलान्यास : रामजनार्दन मंदिर के पास कालिदास कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय भवन हेतु 6 वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिलान्यास किया था। वर्तमान में यह बिल्डिंग लगभग पूरी तरह बनकर तैयार है। इसमें पुताई व फिनिशिंग का कार्य जारी है। लेकिन पिछले दिनों सुरक्षा का हवाला देते हुए शासन स्तर पर माधव कालेज में कालिदास कालेज को शिफ्ट करने व माधव कालेज को नवीन भवन में स्थानांतरित करने की चर्चा चल पड़ी।

स्टाफ बाहर, छात्राएं रैली में :

सैकड़ों छात्राओं ने कालिदास कॉलेज से रैली बनाई इस दौरान कालेज प्राचार्य सहित पूरा स्टाफ कालेज के बाहर बैठा रहा। छात्राएं नारे लगाते हुए ऊर्जा मंत्री पारस जैन के निवास पहुंचीं और यहां गेट के बाहर बैठकर जमकर नारेबाजी की। हालांकि इस दौरान ऊर्जा मंत्री अपने निवास पर मौजूद नहीं थे।

Leave a Comment