काले पानी की सजा:सोमवती अमावस्या पर शिप्रा में मिला दूषित पानी, लोगों को उसी में लगाना पड़ी डुबकी

सोमवती अमावस्या पर सोमवार को शिप्रा में कान्ह का दूषित पानी मिलता रहा और इसी में श्रद्धालु स्नान करते रहे। दरअसल मावठे की बारिश से जलस्तर बढ़ने पर भूखी माता मंदिर क्षेत्र में कान्ह डायवर्शन पाइप लाइन लीकेज हो गई थी। इससे निकलने वाला दूषित पानी समीप से नाले से बहता हुआ शिप्रा में मिलता रहा।

इंदौर से आने वाले कान्ह के गंदे पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने व डायवर्ट करने के लिए सिंहस्थ में करीब 99 करोड़ की लागत से पिपलियाराघौ से कालियादेह तक कान्ह डायवर्शन पाइप लाइन भूमि के भीतर डाली गई थी लेकिन 19 किमी लंबी इस लाइन को जिस उद्देश्य से डाला गया था वह उद्देश्य पूरा होता नहीं दिखाई दे रहा है।

अधिकारियों का कहना है कि मावठे की बारिश होने से कान्ह का जलस्तर बढ़ गया। ऐसे में कान्ह डायवर्शन की पाइप लाइन से जितना पानी निकल सकता था वह निकलने लगा और बाकी पिपलिया राघौ के स्टॉपडेम से ओवरफ्लो होकर आगे त्रिवेणी व शिप्रा की तरफ बढ़ता रहा है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री कमल कुंवाल ने बताया लीकेज की सूचना मिली थी। रात को बोरियां रखवाकर दूषित पानी के बहाव को कम करवाया है।

 

3 महीने में दूसरी बार हुआ ऐसा

ऐसा दूसरी बार हुआ है जब ये लाइन लीकेज होकर फिर से सवालों के घेरे में है। इससे पहले भी 30 अक्टूबर 19 को त्रिवेणी क्षेत्र के ग्राम जीवनखेड़ी में ये लीकेज हुई थी। तब भोपाल तक काफी हल्ला मचा था। पर्व स्नान पर प्रशासन को शिप्रा की बजाए घाटों पर अलग से फव्वारे लगवाकर श्रद्धालुओं को स्नान करवाना पड़ा था।

 

रात से कर रहे थे सुधार

अब ये पाइप लाइन भूखी माता मंदिर मार्ग के किनारे खेत की मेड़ पर लीकेज हुई है। इसकी जानकारी जल संसाधन विभाग को सोमवती अमावस्या स्नान के एक दिन पूर्व लगी थी। अमला रविवार रात तक लीकेज से निकलने वाले दूषित पानी को रोकने के प्रयास करता रहा लेकिन अमले को पूरी सफलता नहीं मिली। मिट्टी-सीमेंट की बाेरियां भरकर बहाव को कम जरूर किया। फिर भी दूषित पानी भूखी माता मंदिर मार्ग पर बने पुल के नीचे से होते हुए शिप्रा में मिलता रहा। श्रद्धालु इसी में स्नान करते रहे।

 

कैसे बदले शिप्रा के घाटों के हालात

 

मंगलनाथ : लाल से काले हो गए घाटों के पत्थर

बड़ी संख्या में मंगलनाथ में भातपूजा के लिए भी आते हैं। ऐसे में वे घाट पर स्नान और पूजन भी करते हैं। सिंहस्थ 2016 में घाट पर लाल पत्थर लगे थे। अनदेखी के कारण घाट पर गंदा पानी बहकर नदी में मिल रहा है। इससे घाट के लाल पत्थरों का रंग काला हाे गया है।

श्रद्धालुओं की आस्था आहत हो रही है। इस संबंध में कई बार प्रशासन को अवगत भी करवाया लेकिन कोई समाधान नहीं निकल रहा। ऐसे में श्रद्धालुओं के वह स्थान ढूंढना पड़ता है जहां वे आचमन तो कर सकें।

-पं. संजय मेहता, पुजारी

 

सुनहरी घाट : घाट पर जमी गाद तक नहीं हटाई

शिप्रा की छोटी पुल से सटे सुनहरी घाट की सफाई पर न तो प्रशासन का ध्यान है न ही निगम अमले का। यही कारण है कि घाट के आसपास गाद जमी हुई है। यहां पर बड़ी मात्रा में निर्माल्य सामग्री भी जमा है। बाहर से आने वाले श्रद्धालु यहां पर स्नान के लिए आए लेकिन हालात देखकर लौट गए।

 

सिद्धनाथ : मंदिर के पास ही सफाई नहीं

नदी में निर्माल्य सामग्री न फेंकी जाए इसके लिए घाट के पास जालियां लगवाई हैं लेकिन मंदिर से सटे घाट पर सफाई नहीं हो रही है। श्रद्धालु यहां आने से भी बच रहे हैं। साेमवती पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आए लेकिन उन्हें मंदिर से दूर स्नान, पूजन करना पड़ा।

चार सफाईकर्मी तैनात हैं लेकिन वे नियमित तौर पर सफाई नहीं करते। उनका ध्यान मंदिर से ज्यादा परिसर में आने वाले श्रद्धालुओं की ओर होता है। घाटों पर नियमित रूप से सफाई होती तो पर्वों पर श्रद्धालुओं को परेशान नहीं होना पड़ता।

-सोनू पंड्या, पुराेहित

 

रामघाट : निर्माल्य की जाली खाली, पानी में फेंक रहे

सबसे ज्यादा श्रद्धालु रामघाट पर स्नान, पूजन के लिए आते हैं। निगम अमले ने यहां पर निर्माल्य कुंड भी लगाए हैं। साथ ही नदी में जालियां भी स्थापित की हैं लेकिन सोमवार को यहां जालियां खाली दिखाई दी जबकि निर्माल्य सामग्री घाट पर पड़ी थी, उसे भी निगम अमले ने नहीं हटाया।

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