कौन मोदी-राहुल…हम तो शिवराज को जानते हैं

मजदूर दिवस: सराय में काम की तलाश में आये मजदूरों से अक्षरविश्व का सीधा संवाद

सवाल : फिर कैसे हारे शिवराज?

जवाब : हमने नहीं, उसे तो पढ़े लिखों ने हरवाया

उज्जैन। पूरा देश जहां लोकसभा चुनाव की चर्चाओं, मोदी और राहुल में से कौन प्रधानमंत्री बनेगा के कयासों में व्यस्त हैं वहीं दूसरी ओर देश निर्माण में लगा एक तबका ऐसा भी है जो मोदी और राहुल को पहचानता तक नहीं…उनका कहना है कि हम तो शिवराज को जानते हैं जिन्होंने राशन, पेंशन और मकान की व्यवस्था की। 1 मई मजदूर दिवस पर छत्रीचौक सराय में काम की तलाश में आए मजदूरों से अक्षरविश्व की टीम ने चर्चा कर मन की बात जानी।
योजना मोदी की श्रेय मिला शिवराज को
केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा गरीबों, मजदूरों और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिये अनेक योजनाएं शुरू की थीं। उस समय प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार थी और उन्होंने केन्द्र की योजनाओं को प्रदेश में जोर-शोर से लागू कराया संभवत: इसी कारण मजदूर वर्ग को जो केन्द्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिला उसे वह शिवराज की योजना मानकर श्रेय भी उन्हीं को देते हैं।

घर में पत्नी, बेटा, बहू हैं सभी मजदूरी करते हैं। सभी को रोजाना काम नहीं मिलता, मैं तो बूढ़ा हो चला हूं इस कारण मजदूरी कम ही मिलती है। दूसरे काम भी कर लेता हूं। परिवार का भरण पोषण भी करना है। देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं प्रधानमंत्री से क्या अपेक्षाएं हैं… हमें तो शिवराज ने बीपीएल राशन कार्ड बनवाकर गेहूं, चावल, केरोसीन दिया, गैस सिलेण्डर भी मिला मोदी और राहुल कौन हैं नहीं जानते। रोजाना मजदूरी मिल जाये ऐसी व्यवस्था होना चाहिये।-थावरसिंह, निवासी पेटलावद

60 साल से अधिक उम्र हो चुकी है, बेटी की शादी हो गई, पति की मृत्यु हो गई। खाने और रहने के लिये मजदूरी की तलाश में रोजाना सराय आती हूं। नगर निगम से पेंशन नहीं मिलती, बीपीएल कार्ड भी नहीं। मजदूरी तो नहीं मिलती लेकिन हलवाई बर्तन मांझने या सफाई कराने के लिये ले जाते हैं उसी से गुजारा होता है। मैं तो फूल को वोट देती हूं उससे कौन क्या बनेगा यह नहीं जानती।-भागवंताबाई निवासी जयसिंहपुरा

सरकार से मकान मिला, गैस कनेक्शन मिला, बीपीएल कार्ड से राशन भी मिलता है। दो बच्चे हैं जो स्कूल जाते हैं। स्कूलों में ठीक से पढ़ाई हो, बच्चे पढ़कर कुछ बन जाएं यही सरकार से मांग है। हम तो वर्षों से मजदूरी करते आ रहे हैं, लेकिन रोजाना काम नहीं मिलता। एक माह में 15-20 दिन मजदूरी करने से जो मिलता है उसी से परिवार की गुजर बसर होती है। लोकसभा चुनाव की जानकारी नहीं है। मोदी-राहुल को भी नहीं पहचानते। शिवराज के समय सरकारी सुविधाएं मिली थीं।-राजू, निवासी बमती

घर में बेटे-बहू, पोते सभी हैं, मेरी उम्र 75 वर्ष हो चुकी है, सरकारी पेंशन मिलती है। मकान बनाने के लिये ढाई लाख भी मिले। घर के लोग गुजारे के रुपये नहीं देते इस कारण सराय में मजदूरी के लिये आती हूं। कभी हलवाई या अन्य लोग सफाई आदि काम के लिये ले जाते हैं नहीं तो घर लौट जाते हैं। पढ़ी लिखी नहीं हूं इसलिये नेताओं को पहचानती भी नहीं। चुनाव में वोट डालने जरूर जाती हूं। फूल पर वोट डाला था तो मकान बनाने के रुपये मिले तो वोट भी उसी को डालने की मंशा है।-शांतिबाई, नगरकोट

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