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चामुंडा माता और मंगलनाथ आम लोगों के लिए खुला, हरसिद्धि और गढ़कालिका बंद
प्रशासन का आदेश नहीं आने से धर्मस्थलों खोलने को लेकर असमंजस
उज्जैन:कोरोना संक्रमण की वजह से देश में लागू हुए लॉकडाउन के बाद से शहर के प्रमुख मंदिरों में आमजन का प्रवेश प्रतिबंधित है। दो दिनों पूर्व प्रशासन की ओर से शहर के सभी मंदिरों को आमजनों हेतु खोलने की बात कही गई, लेकिन कलेक्टर द्वारा देर रात तक आदेश जारी नहीं होने के कारण शहर के अनेक प्रमुख मंदिरों में व अन्य धर्म स्थलों को खोलने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही। कुछ मंदिर खुले तो कुछ बंद रहे।
चामुण्डा माता मंदिर सुबह आमजनों के लिये खोल दिया गया। यहां सुबह से बड़ी संख्या में लोग माताजी के दर्शनों को पहुंचे। मंदिर के पुजारी पं. शरद चौबे ने बताया कि विगत 22 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद से आमजन का मंदिर में प्रवेश बंद कर दिया गया था। हालांकि इस दौरान माताजी की पूजन आरती का क्रम पूर्व की तरह चलता रहा। पं. चौबे के अनुसार चामुण्डा माता मंदिर के पीछे स्थित भोजन शाला से लॉकडाउन के दौरान गरीबों व जरूरतमंदों को भोजन पैकेट वितरण भी किया गया और यह क्रम आज भी जारी है। इसी प्रकार मंगलनाथ मंदिर अनलॉक 1.0 लागू होने के बाद आमजनों के लिये सुबह से खुल गया।
मंगलवार होने की वजह से यहां दर्शनों का विशेष महत्व रहता है और यही कारण रहा कि सुबह से बड़ी संख्या में लोग भगवान मंगलनाथ के दर्शनों को पहुंचे। यहां पं. महेन्द्र भारती ने बताया कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली थी कि 7 जुलाई से सभी मंदिर आमजन के लिये खुलेंगे उसी के चलते सुबह भगवान की आरती के बाद मंदिर खोल दिया गया है, हालांकि प्रशासनिक स्तर पर अभी तक आदेश प्राप्त नहीं हुआ है इस कारण मंदिर आने वाले लोगों को यहीं स्थित दूसरे शिव मंदिर में पूजन की अनुमति दी गई है, जबकि यहां कोरोना नियमों का पालन सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनेटाइजर का उपयोग किया जा रहा है।
प्रशासन के सभी धर्म स्थल खोलने के आदेश के तहत से खाराकुंआ स्थित बोहरा समाज की प्रसिद्ध हसनजी बादशाह बाबा की दरगाह जियारत के लिए खोली गई। पहले ही दिन समाज की वेबसाइट पर 550 लोगों ने जियारत के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया जियारत का टाइम सुबह 8 से 11 बजे तक रखा गया था सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया और हाथ सैनिटाइज करते हुए जियारतअदा की गई। पहले ही दिन कुछ विवाद की स्थिति भी बनी। व्यवस्थापक द्वारा पहले यह आदेश हुए थे कि जिनका रजिस्ट्रेशन है सिर्फ उन्हीं को प्रवेश दिया जाएगा, लेकिन बाद में आदेश बदलते हुए सभी को प्रवेश दे दिया गया, जिससे जो पहले दरगाह पर जियारत के लिए गए थे उन्हें प्रवेश ना मिलने पर उनमें नाराजगी देखी गई।