पर्यावरण से मित्रता बिना यह दुनिया सुरक्षित नहीं रह सकती

Ujjain News: विक्रम विवि में प्रकृति और विज्ञान के सम्मिलन पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में प्रकृति और विज्ञान के सम्मिलन पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शुभारंभ समारोह के प्रमुख अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रो. पवन कुमार शर्मा ने कहा प्रकृति के साथ रिश्ते बनाते हुए हम दीर्घोपयोगी विज्ञान का विकास कर सकते हैं।

उन्होंने कहा प्राकृतिक विज्ञान के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संबंधों को लेकर व्यापक जागरूकता जरूरी है। संसार के जीवों और वनस्पतियों से हमें विज्ञान सीखना होगा। मकड़ी द्वारा तैयार किया जाने वाला जाल स्टील से पांच गुना ज्यादा मजबूत होता है। आज अनेक कंपनियां कंक्रीट और सिरेमिक निर्माण के वैकल्पिक मार्ग खोज रही हैं, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा। मानवीय सभ्यता और पृथ्वी की रक्षा के लिए प्रकृति को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रसार आवश्यक है। पर्यावरण से मित्रता के बिना यह दुनिया सुरक्षित नहीं रह सकती है। विज्ञान नवाचार का मूल स्रोत है। प्रकृति स्वयं महावैज्ञानिक है। विज्ञान नया करने की उड़ान भरने के लिए पंख देता है।

 

प्रकृति का शोषण किया जा रहा

कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि आज प्रकृति का शोषण किया जा रहा है, जबकि इसके बजाय दोहन किया जाना चाहिए। हमारे यहां जगत के त्यागपूर्वक भोग पर बल दिया गया है। लोभ की वृत्ति, प्रकृति का विनाश कर देगी। हमारी परम्परा में तत्वज्ञानी से विनयपूर्वक प्रश्न करने की महिमा है। जीवन में जिज्ञासा बेहद जरूरी है। प्रश्नों से जिज्ञासा का समाधान होता है।

 

प्रकृति के विज्ञान की जिज्ञासा होना जरूरी

विशिष्ट अतिथि प्रो. सतीश अवस्थी नई दिल्ली ने कहा कि विज्ञान शिक्षा की सार्थकता हमारे अंदर जिज्ञासा जगाने के लिए है। यह जिज्ञासा प्रकृति के विज्ञान को लेकर भी होनी चाहिए। इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो. आरसी वर्मा ने विज्ञान के साथ प्रकृति के समन्वय स्थापित करने पर बल दिया। तकनीकी सत्रों में डॉ. केतन तातू गांधीनगर, डॉ. श्रीनिवासुलु हैदराबाद ने महत्वपूर्ण व्याख्यान दिए। अतिथि स्वागत संगोष्ठी की मुख्य समन्वयक प्रो. उमा शर्मा, डॉ. कमलेश दशोरा, डॉ. स्वाति दुबे, डॉ. निश्छल यादव आदि ने किया। आयोजकों ने अतिथियों को स्मृति चिह्न अर्पित किए। संचालन डॉ. रूबल वर्मा ने किया। आभार डॉ. कमलेश दशोरा ने माना।

 

भाषा पर आधारित सेमिनार 2-3 मार्च को

मनुष्य के स्वभाव और भाषा पर आधारित दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन विक्रम विश्वविद्यालय में 2 व 3 मार्च को होगा, इसमें विभिन्न प्रांतों के पहनावे, प्रकृति और भाषा पर केंद्रित व्याख्यान होंगे। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा, प्रो. अचला शर्मा व कुलानुशासक शैलेंद्र शर्मा कॉर्डिनेट करेंगे। सलाहकार के रूप में प्रो. प्रेमलता चुटैल, प्रो. गीता नायक, डॉ. अंजाना पांडेय, डॉ. बीके अंजाना, डॉ. रूबल वर्मा, डॉ. जगदीशचंद्र शर्मा, डॉ. आर मुसलगांवकर व डॉ. प्रतीष्ठा शर्मा उपस्थित रहेंगे।

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