बाजार में आने लगी रौनक:7 दिन में 265 कार बुक, सामान्य दिनों की तुलना में यह 4 गुना, 3 महीने की बुकिंग फुल

अनलॉक के शुरुआती एक-दो दिन की सुस्ती के बाद बाजार अब रफ्तार पकड़ने लगा है। हालांकि सामान्य होने में लंबा वक्त लगेगा, लेकिन किसानों से बड़ी उम्मीद है। कारण- उपज की बड़ी राशि किसानों के पास पहुंची है। लगभग 2 करोड़ रुपए रोज का लेन-देन हो रहा है।

अगर किसानों का बाजार की तरफ रुख रहा, तो स्थिति जल्दी सुधर सकती है। वहीं उद्योग भी अब रफ्तार पकड़ने लगे हैं। इधर, कार बाजार में तेजी से बूम आया है। हालांकि इसका कारण कोरोना का डर और भीड़ से दूरी बनाने की कोशिश है।

इसीलिए बाजार खुलने के सात दिनों में ही शहर में 265 कारें बुक हो गई हैं। व्यापारी यह मांग सामान्य दिनों की तुलना में औसतन चार गुना बता रहे हैं। दरअसल कोरोना काल में मिल रहे कड़वे अनुभव से हर व्यक्ति अब निजी व सुरक्षित सफर चाहता है। नतीजतन हुंडई कंपनी के पास तीन महीने तक बुकिंग फुल है।

सुरक्षित सफर की चाहत : खुद का वाहन
शहर में चार पहिया वाहन के प्रमुख रूप से पांच शोरूम हैं। प्रिंस हुंडई उज्जैन के सेल्स हेड हिम्मत सिंह ठाकुर कहते हैं हर कोई यही चाह रहा है कि उसकी निजी कार हो। धारणा है कि कोरोना से बचने के लिए सुरक्षित सफर बहुत जरूरी है।

हमारे शोरूम से 220 तक बुकिंग हो गई है। यह सामान्य दिनों की तुलना में चार गुना है। कंपनी के पास तीन महीने तक बुकिंग फुल है। मारुति शोरूम के राजेश चौधरी कहते हैं लॉकडाउन से पहले जिनकी बुकिंग थी वे जल्द से जल्द कार की डिलीवरी मांग रहे हैं।

रोज पांच कार की डिलीवरी के साथ इतनी ही बुकिंग भी हो रही हैं। सांघी टाटा शोरूम से जुड़ी रागिनी साही कहती हैं कि अनलॉक में सोमवार को ही शोरूम खोला। पहले ही दिन तीन वाहनों की बुकिंग हुई। होंडा कार शोरूम के नीपेश नाहटा कहते हैं कि कार के व्यापार में मंदी नहीं हैं। अच्छी संख्या में इंक्वायरी हाे रही हैं।

शहर की मंडी से रोज औसत 2 करोड़ रुपए किसान की जेब में आ रहे, लेकिन बाजार में नहीं
गेहूं सीजन का यह हाल बाजार पर इम्पैक्ट नहीं ला पा रहा। शहर की चिमनगंज मंडी में इस समय रोज करीब 2 करोड़ रुपए की बिकवाली है। तहसीलों की बड़नगर, उन्हेल, खाचरौद, नागदा, महिदपुर, तराना मंडी में 5 करोड़ रुपए का व्यापार हो रहा है।

यानी जिले में करीब 7 करोड़ रुपए रोज किसानों की जेब में फसल बेचने से आ रहे हैं। लेकिन यह पैसा बाजार में नहीं जा रहा। किसान इस समय केवल खाद, बीज, कृषि उपकरण, बारिश का सामान आदि की खरीदी ही कर रहे हैं। जून-जुलाई की शादियां नहीं के बराबर है। इसका असर यह है कि कपड़ा, बर्तन, सोना-चांदी, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन, टेंट, बैंड जैसे कई कारोबार धीमी गति से चल रहे हैं।

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