- श्री महाकालेश्वर मंदिर में एंट्री का हाईटेक सिस्टम हुआ लागू, RFID बैंड बांधकर ही श्रद्धालुओं को भस्म आरती में मिलेगा प्रवेश
- कार्तिक पूर्णिमा आज: उज्जैन में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, माँ क्षिप्रा में स्नान के साथ करते हैं सिद्धवट पर पिंडदान
- भस्म आरती: भांग, चन्दन और मोतियों से बने त्रिपुण्ड और त्रिनेत्र अर्पित करके किया गया बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार!
- Ujjain: बैकुंठ चतुर्दशी आज, गोपाल मंदिर पर होगा अद्भुत हरि-हर मिलन; भगवान विष्णु को जगत का भार सौंपेंगे बाबा महाकाल
- भस्म आरती: रजत सर्प, चंद्र के साथ भांग और आभूषण से किया गया बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार, श्रद्धालुओं ने लिया भगवान का आशीर्वाद
बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने के लिए बंधेगी गलंतिका:मंदिर के गर्भगृह में मिट्टी के 11 कलशों से प्रवाहित होगी जलधारा
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल को शीतलता प्रदान करने के लिए गलंतिका बांधी जाएगी। वैशाख कृष्ण प्रतिपदा 7 अप्रैल से परंपरा अनुसार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तक दो माह मिट्टी के 11 कलश से भगवान महाकाल पर सतत जलधारा प्रवाहित होगी। यह क्रम प्रतिदिन सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक रहेगा।
वैशाख मास में अधिक गर्मी होती है। ऐसे में भगवान महाकाल को शीतलता प्रदान करने के लिए मिट्टी के 11 कलशों को गर्भगृह में बांधकर जलधारा प्रवाहित की जाएगी। पं.महेश पुजारी ने बताया कि समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने गरल (विष) पान किया था। गरल अग्नि शमन के लिए भगवान शिव के जलाभिषेक की परंपरा है। वैशाख व ज्येष्ठ मास में गर्मी अधिक होती है। गर्मी के इन दिनों में विष की उष्णता और बढ़ जाती है। इसलिए इन दो माह भगवान के शीश पर मिट्टी के कलशों की गलंतिका बांधी जाती है। जिससे शीतल जलधारा प्रवाहित कर भगवान को गर्मी से राहत प्रदान की जाती है। परंपरा अनुसार वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्येष्ठ महिने की पूर्णिमा तक दो माह गलंतिका बांधी जाएगी। इसी तरह मंगलनाथ व अंगारेश्वर महादेव मंदिर में भी 7 अप्रैल वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से गलंतिका बांधी जाएगी। मान्यता है कि महामंगल को अंगारकाय कहा जाता है। मंगल की प्रकृति गर्म होने से गर्मी के दिनों में अंगारक देव को शीतलता प्रदान करने के लिए गलंतिका बांधी जाती है।