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बिना दीप व बाती सुलगाए आज होगा मां शीतला का पूजन, माता शीतला की कथा
Ujjain News: नहीं जलेगा घरों में चूल्हा, होगा शीतला माता का पूजन
सोमवार को शीतला सप्तमी मनाई जाएगी। इस दौरान महिलाएं बिना दीप व अगरबत्ती सुलगाए ही मां शीतला माता का पूजन करेंगी। अधिकांश घरों में चूल्हा नहीं जलेगा। साथ ही महिलाएं सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से स्नान करने के बाद शीतला माता को जल चढ़ाने और पूजन करने मंदिर जाएंगी।
महिलाएं शीतला माता का पूजन करती हैं
मां शीतला की शीतल छाया सब पर बनी रहे, इस विचारधारा के साथ महिलाएं शीतला माता का पूजन करती हैं। परंपरानुसार इस दिन ठंडे भोज्य पदार्थ सेवन करने का विधान है, लेकिन अधिकांश महिलाएं एक दिन पूर्व बनाए गए व्यंजनों का सेवन करती हैं। जानकारों का मानना है कि इस दिन ठंडे भोजन का सेवन किया जाता है। शीतला सप्तमी पर किए जाने वाले पूजन को लेकर ज्योतिषों का मानना है कि इस दिन अग्नि को शांत रखा जाता है। जिसके कारण चूल्हे पर खाना नहीं पकाया जाता अधिकांशत: ठंडी प्रकृति के पदार्थों का सेवन किया जाता है। इस मामले में ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि शीतला सप्तमी पर ठंडे पदार्थों का सेवन किया जाता है। घरों में चूल्हा नहीं जलता है। शीतला माता का पूजन करने के साथ रसोई के लिए अग्नि नहीं जलाई जाती।
यह है माता शीतला की कथा
एक गांव में ब्राह्मण दंपति रहते थे। दंपति के दो बेटे और दो बहुएं थीं। दोनों बहुओं को लंबे समय के बाद बेटे हुए थे। इतने में शीतला सप्तमी का पर्व आया। घर में पर्व के अनुसार ठंडा भोजन तैयार किया। दोनों बहुओं के मन में विचार आया कि यदि हम ठंडा भोजन लेंगी तो बीमार होंगी,बेटे भी अभी छोटे हैं। इस कुविचार के कारण दोनों बहुओं ने तो पशुओं के दाने तैयार करने के बर्तन में गुप-चुप दो बाटी तैयार कर ली। सास-बहू शीतला की पूजा करके आई,शीतला माता की कथा सुनी।
शीतला माता के भजन करने बैठ गई सास
बाद में सास तो शीतला माता के भजन करने के लिए बैठ गई। दोनों बहुएं बच्चे रोने का बहाना बनाकर घर आई। दाने के बरतन से गरम-गरम रोटला निकाले,चूरमा किया और पेटभर कर खा लिया। सास ने घर आने पर बहुओं से भोजन करने के लिए कहा। बहुएं ठंडा भोजन करने का दिखावा करके घर काम में लग गई। सास ने कहा,”बच्चे कब के सोए हुए हैं,उन्हे जगाकर भोजन करा लो’..बहुएं जैसे ही अपने-अपने बेंटों को जगाने गई तो उन्होंने उन्हें मृतप्रायः पाया। ऐसा बहुओं की करतूतों के फलस्वरुप शीतला माता के प्रकोप से हुआ था। बहुएं विवश हो गई। सास ने घटना जानी तो बहुओं से झगडने लगी। सास बोली कि तुम दोनों ने अपने बेटों की बदौलत शीतला माता की अवहेलना की है इसलिए अपने घर से निकल जाओ और बेटों को जिन्दा-स्वस्थ लेकर ही घर में पैर रखना।
दोनों बहुएं घर से निकल पड़ी
अपने मृत बेटों को टोकरे में सुलाकर दोनों बहुएं घर से निकल पड़ी। जाते-जाते रास्ते में एक जीर्ण वृक्ष आया। यह खेजडी का वृक्ष था। इसके नीचे ओरी शीतला दोनों बहनें बैठी थीं। दोनों के बालों में विपुल प्रमाण में जूं थीं। बहुओं ने थकान का अनुभव भी किया था। दोनों बहुएं ओरी और शीतला के पास आकर बैठ गई। उन दोनों ने शीतला-ओरी के बालों से खूब सारी जूं निकाली। जूँओं का नाश होने से ओरी और शीतला ने अपने मस्तक में शीतलता का अनुभव किया। कहा,’तुम दोनों ने हमारे मस्तक को शीतल ठंडा किया है,वैसे ही तुम्हें पेट की शांति मिले।
नहीं हुए माता के दर्शन
दोनों बहुएं एक साथ बोली कि पेट का दिया हुआ ही लेकर हम मारी-मारी भटकती हैं,परंतु शीतला माता के दर्शन हुए नहीं है। शीतला माता ने कहा कि तुम दोनों पापिनी हो,दुष्ट हो,दूराचारिनी हो,तुम्हारा तो मुंह देखने भी योग्य नहीं है। शीतला सप्तमी के दिन ठंडा भोजन करने के बदले तुम दोनों ने गरम भोजन कर लिया था। यह सुनते ही बहुओं ने शीतला माताजी को पहचान लिया। देवरानी-जेठानी ने दोनों माताओं का वंदन किया। गिड़गिड़ाते हुए कहा कि हम तो भोली-भाली हैं। अनजाने में गरम खा लिया था। आपके प्रभाव को हम जानती नहीं थीं। आप हम दोनों को क्षमा करें। पुनः ऐसा दुष्कृत्य हम कभी नहीं करेंगी।
मृतक बालकों को जीवित कर दिया
उनके पश्चाताप भरे वचनों को सुनकर दोनों माताएं प्रसन्न हुईं। शीतला माता ने मृतक बालकों को जीवित कर दिया। बहुएं तब बच्चों के साथ लेकर आनंद से पुनः गांव लौट आई। गांव के लोगों ने जाना कि दोनों बहुओं को शीतला माता के साक्षात दर्शन हुए थे। दोनों का धूम-धाम से स्वागत करके गांव प्रवेश करवाया। बहुओं ने कहा,’हम गाँव में शीतला माता के मंदिर का निर्माण करवाएंगी। चैत्र मही ने में शीतला सप्तमी के दिन मात्र ठंडा खाना ही खाएंगी| शीतला माता ने बहुओं पर जैसी अपनी दृष्टि की वैसी कृपा सब पर करें। श्री शीतला मां सदा हमें शांति,शीतलता तथा आरोग्य दें।