ब्लैक फंगस के मरीजों की नई मुसीबत:इंजेक्शन से कई मरीजों की तबीयत बिगड़ी इंदौर से भेजे गए इंजेक्शन की सप्लाई रोकी

इंदौर से भेजे गए इंजेक्शन को उज्जैन में ब्लैक फंगस के मरीजों को लगाने के बाद उनमें साइड इफेक्ट देखे गए हैं। मरीजों के शरीर में कंपन और घबराहट होने लगी। इनमें से एक मरीज को चेरिटेबल हॉस्पिटल के आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ा तथा बाकी मरीजों को आब्जर्वेशन में रखा गया।

इंदौर से करीब 200 इंजेक्शन उज्जैन भेजे गए थे जो आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती ब्लैक फंगस के 14 मरीजों तथा चेरिटेबल अस्पताल, जिला अस्पताल और प्राइवेट अस्पताल में भर्ती मरीजों को लगाए गए थे। इनमें से करीब 15 मरीजों में कंपन और घबराहट हुई।

हालांकि मरीजों में गंभीर स्थिति नहीं देखी गई। बाद में सभी मरीजों की सामान्य स्थिति हो गई थी। सरकारी व प्राइवेट अस्पताल सहित करीब 89 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। करीब 300 रुपए कीमत के इस इंजेक्शन का मरीजों की किडनी पर भी असर देखा गया है।

ब्लैक फंगस के मरीजों में साइड इफैक्ट होने पर बैच नंबर जीपीजी 121112 के इंजेक्शन की सप्लाई रोक दी गई है। विशेषज्ञों ने अध्ययन में पाया है कि इंजेक्शन मरीजों की किडनी को डैमेज कर सकता है। इसका उपयोग स्लो किया जाना चाहिए यानी 6 से 7 घंटे तक इसे मरीजों को दिया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय संयुक्त टॉस्क फोर्स द्वारा कोविड-19 एसोसिएटेड म्यूकर माइकोसिस सीएएम के संबंध में एडवाइजरी जारी की गई है। इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के स्वास्थ्य आयुक्त सह-सचिव आकाश त्रिपाठी ने सीएमएचओ व कोविड प्रभारी, सिविल सर्जन तथा नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष को भेजी है।

कनवेन्शन वाले इंजेक्शन को लेकर एडवाइजरी जारी हुई है, जिसमें इंजेक्शन को किस तरह से लगाया जाना है, इस बारे में बताया गया है। इंजेक्शन की सप्लाई रुकवा दी गई है।किसी भी मरीज की स्थिति गंभीर नहीं – धर्मसिंह कुशवाह, ड्रग इंस्पेक्टर

मरीजों से खिलवाड़ क्यों? किडनी को डैमेज कर सकते हैं ये इंजेक्शन, अब 6-7 घंटे का गेप रखना होगा

इंजेक्शन का गेप बढ़ाया गया… म्यूकर माइकोसिस के मरीजों में एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के उपयोग के लिए राष्ट्रीय संयुक्त टॉस्क फोर्स की अनुशंसाओं के बारे में बताते हुए कहा गया है कि इंजेक्शन किडनी को डैमेज कर सकता है।

इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन-बी का उपयोग मरीजों के लिए स्लो यानी करीब 6 से 7 घंटे में करने की सलाह दी गई है। आरटीएफ तथा इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस की निगरानी करते हुए ही इंजेक्शन का उपयोग किया जाना आवश्यक है।

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