मनमानी पाबंदी से मंदी में बाजार:अब लेफ्ट-राइट की जिद छोड़ें, पूरा बाजार एकसाथ खोलें और शादियों की छूट बढ़ाएं…

आज हर नागरिक, व्यापारी, विद्यार्थी, पंडित, पुजारी के मन में एक ही सवाल है कि जब भोपाल, रतलाम जैसे ज्यादा संक्रमित शहरों में बाजार पूरी तरह खुल गए हैं तो उज्जैन प्रशासन की घिग्घी क्यों बंधी हुई है। आपदा प्रबंधन समूह में बैठे जनप्रतिनिधि क्यों फैसला नहीं कर पा रहे।

हाथ की घड़ी और मुंह पर अंगुली रखकर उनका मौन जनता को खटक रहा है। व्यापारियों का मानना है कि शादी-ब्याह के चंद मुहूर्त का कारोबार रह गया है। यदि बाजार नहीं खोले गए, शादी ब्याह की इजाजत में शामिल होने वालों की संख्या नहीं बढ़ाई गई, धर्मस्थलों को नहीं खोला गया तो उज्जैन की अर्थ व्यवस्था चौपट हो जाएगी। पिछले साल से लॉकडाउन की बंदिशें झेल रहे लोग अब और सहन करने की स्थिति में नहीं हैं।

फिर प्रशासन जो व्यवस्था दे रहा है, उससे क्या कुछ फायदा। बाजारों में जो लोग आ रहे हैं, वे चार दुकान की जगह एक ही दुकान पर भीड़ लगाकर संक्रमण के खतरे को बढ़ा रहे हैं। इसलिए शहर ही नहीं, जिले की गुजारिश है कि सरकार हिम्मत दिखाओ और शहर की बची-खुची आर्थिक उम्मीदों को तो मरने से बचा लो।

अभी किसान ही धनवान : शहर की अर्थव्यवस्था का दूसरा चक्र इन्हीं के हाथ

व्यापारी हर शर्त मानने को तैयार
छत्रीचौक व्यापारी एसोसिएशन के विजय अग्रवाल कहते हैं- हमने गुरुवार को भी सीएम से आग्रह किया है कि वे उज्जैन में पूरा बाजार खोलें, धर्मस्थल चालू करें, शादी ब्याह की छूट दें। प्रशासन की हर बात मानने को व्यापारी तैयार है। फ्रीगंज व्यापारी महासंघ के संयोजक राजेश अग्रवाल का कहना है महासंघ की बैठकें कर प्रशासन को अवगत करा चुके हैं। जनप्रतिनिधियों को भी भरोसा दिलाया है कि व्यापारी कोरोना गाइड लाइन का पूरी तरह पालन करेंगे। व्यापारियों का कहना है उन्होंने स्वयं और अपने कर्मचारियों का वैक्सीनेशन करा लिया है। जिन्होंने नहीं लगाया उनके लिए शिविर लगा कर वैक्सीनेशन कराया जा रहा है। दुकानों पर मास्क, सैनिटाइजर अनिवार्य किया है। सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कराया जा रहा है। व्यापारियों का अनुभव है कि अब ग्राहक स्वयं जागरूक हैं। वे मास्क लगा कर आ रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग भी रख रहे हैं। यदि कोई पालन नहीं करता तो उसे व्यापारी टोकते हैं। दूसरे ग्राहक भी आपत्ति लेते हैं।

किसानों के पास उपज का पैसा, शादी और अन्य खरीदी के लिए ये मार्केट पहुंचे तो खत्म होगा संकट

{उज्जैन की अर्थ व्यवस्था का चक्र दो स्थानों से चलता है- एक कृषि उपज मंडी और दूसरा महाकालेश्वर मंदिर सहित तीर्थ क्षेत्र। प्रशासन ने मंडी अनलॉक कर बहुत अच्छा फैसला किया। आज किसानों की जेब में पैसा आने लगा है। लेकिन मुसीबत यह है कि यह पैसा अभी बाजार में नहीं आ रहा, क्योंकि न शादी-ब्याह की छूट है और न ही खरीदी के लिए बाजार खुले हैं। नतीजतन बाजार में हलचल नजर आ रही है लेकिन कारोबार को पंख नहीं लग पा रहे।

लेफ्ट-राइट का ये नुकसान… एक बार में जरूरत, उतनी खरीदारी करने की मजबूरी है। एक दुकान खुली है तो दूसरी बंद। यानी दूसरी वस्तु खरीदने के लिए दोबारा आना। इस पर कोरोना का डर। लोग भयभीत हैं कि प्रशासन उज्जैन में छूट देने से क्यों डर रहा है? ऐसी स्थिति में जिम्मेदारी जिला आपदा प्रबंधन समूह पर आती है, जिसमें जनता के प्रतिनिधि बैठ कर फैसला करते हैं। व्यापारी कई दफा इन जनप्रतिनिधियों तक अपनी बात पहुंचा चुके हैं। शुक्रवार को समूह की बैठक सुबह 10.30 बजे बृहस्पति भवन में होगी। पूरा शहर इस बैठक के फैसलों से उम्मीद लगाए बैठा है।

गाइड लाइन बनाकर छूट दें
व्यापारियों, नागरिकों का मत है कि प्रशासन सभी कुछ खोले। सावधानी बतौर गाइड लाइन तय की जा सकती है। धर्मस्थलों में प्रवेश, बाजार में खरीदारी, परिवहन आदि के लिए प्रशासन गाइड लाइन जारी कर सकता है। इसका पालन कराने की व्यवस्था कर सकता है। पालन नहीं करने पर दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है।

बतौर प्रयोग पूरा बाजार खोलें
आपदा प्रबंधन समूह शुक्रवार की बैठक में तय करें कि शनिवार को पूरे बाजार में छूट दी जाएगी। शाम 7 बजे तक सभी तरह की दुकानें खुली रहेंगी। शनिवार को इस छूट से आए सकारात्मक और नकारात्मक परिवर्तन के आधार पर सोमवार से नई व्यवस्था लागू की जा सकती है।

सब मुद्दों पर सकारात्मक हैं
सभी लोगों की भावनाओं से हम वाकिफ हैं। हम सकारात्मक तरीके से ही इन सब पर विचार करेंगे। शुक्रवार की बैठक में समीक्षा की जाएगी। सभी सुझावों पर भी मंथन किया जाएगा। इसके आधार पर निर्णय लेंगे। – डॉ मोहन यादव, आपदा प्रबंधन समूह अध्यक्ष व उच्च शिक्षा मंत्री

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