मुफ्त दवाइयां:कैंसर मरीजों को 46 प्रकार की दवाइयां मुफ्त में मिलेंगी, सिविल अस्पतालों में भी मिलेगा इलाज

  • जिले में 5500 मरीज पंजीकृत, जिनमें से 1550 मरीजों को कीमोथैरेपी व 200 मरीजों को पैलिएटिव केयर दे रहे
  • जिले के सिविल अस्पतालों में भी अब कैंसर के मरीजों का इलाज हो सकेगा

अब कैंसर के मरीजों को 46 प्रकार की दवाइयां मुफ्त में मिल सकेगी। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए टेंडर जारी कर दिए हैं और नवंबर से मरीजों को जिला अस्पताल के सेठी बिल्डिंग में संचालित दवाई वितरण केंद्र से दवाइयां मिलना शुरू हो जाएगी। जिले के सिविल अस्पतालों में भी अब कैंसर के मरीजों का इलाज हो सकेगा। यहां पर मरीजों को भर्ती रखे जाने की सुविधा भी रहेगी। अस्पताल के ही डॉक्टर्स और स्टाफ को ट्रेंड किया जाकर उनकी चिकित्सकीय सेवाएं ली जाएगी। इसी तरह प्रदेश के सभी जिलों के सिविल अस्पतालों में भी कैंसर के मरीजों को चिकित्सा दी जाएगी। इसमें मरीजों काे कीमोथैरेपी व पैलिएटिव केयर यानी दर्द रहित चिकित्सा दी जाएगी। उज्जैन के कैंसर मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू किया है, जिसके तहत उपलब्ध डॉक्टर्स व स्टाफ तथा संसाधन में ही कैंसर यूनिट का संचालन किया जाएगा।

जिसमें सिविल अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर व स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके अलावा जिला अस्पताल के तहत संचालित कैंसर यूनिट पूर्व की तरह संचालित होती रहेगी। उज्जैन में वर्ष-2016 में कैंसर यूनिट की स्थापना किए जाने के बाद यहां पर ट्रेनिंग सेंटर भी शुरू किया गया। जहां पर प्रदेश के दूसरे जिलों के जिला अस्पताल के स्टाफ को ट्रेंड किया गया है। अब मरीजों के इलाज में उपयोगी दवाइयों में भी इजाफा किया जा रहा है। वर्तमान में मरीजों को केवल 19 प्रकार की दवाइयां ही मिल पा रही थी। अब 46 प्रकार की दवाइयां दी जा सकेगी। यानी 27 प्रकार की और दवाइयों का इजाफा किया गया है। जिले में करीब 5500 मरीज कैंसर यूनिट में पंजीकृत हैं। इनमें से 1550 मरीजों को कीमोथैरेपी दी जा रही है तथा 200 मरीजों को पैलिएटिव केयर दी जा रही है। कैंसर के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. सीएम त्रिपाठी ने बताया कैंसर के मरीजों का इलाज सिविल अस्पतालों में भी हो सकेगा। अभी बड़नगर के सिविल अस्पताल का चयन किया गया है। उन्होंने बताया कि दवाइयां भी बढ़ाकर 46 कर दी गई हैं। इसके टेंडर हो गए हैं। नवंबर में आयुष्मान कार्डधारी मरीज को उक्त दवाइयां मुफ्त में मिल सकेगी।

इधर 56.81 फीसदी मरीजों पर कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी बेअसर

कैंसर के बढ़ते मरीजों के बीच दवाइयां बेअसर हो रही हैं, जिसमें 56.81 प्रतिशत मरीजों पर कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी बेअसर पाई जा रही है। यानी दवाइयों का मरीजों पर असर नहीं हो पा रहा है। यह हाल ही में हुए शोध में पता चला है। दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट ने जनवरी 2015 से मार्च 2015 के दौरान मुंह और गला कैंसर (हेड एंड नेक स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा) से पीड़ित 308 मरीजों पर अध्ययन किया था। इसमें पाया गया कि 56.81 प्रतिशत करीब 175 मरीजों पर कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी का असर नहीं हुआ है। पान, तंबाकू, गुटखा, शराब का सेवन कर रहे कैंसर पीड़ित मरीजों पर रेडियोथैरेपी भी बेअसर है। कैंसर होने के बाद भी ऐसे मरीज, जो कि तंबाकू, गुटखा व अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, उन पर दवाइयों का असर कम या बहुत कम होता है या नहीं भी होता है। वहीं 43.19 फीसदी यानी 133 मरीजों के इलाज के दौरान उन पर दवाइयों का असर पाया गया। अध्ययन में सबसे कम उम्र के मरीज की उम्र 26 साल और सबसे अधिक उम्र 86 साल की थी।

नशा करने वाले मरीजों पर दवाइयों का असर नहीं होता

अध्ययन में पाया गया है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष मुंह और गला कैंसर से चार गुना ज्यादा पीड़ित हो रहे हैं। ज्यादातर कैंसर के मामले एडवांस स्टेज में ही पता चलते हैं। कैंसर के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि जो मरीज कैंसर होने के बाद भी नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, उन पर दवाइयों का असर कम होता है। ऐसे में मरीजों को चाहिए की वे नशीले पदार्थ का सेवन बंद कर दें।

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