रामघाट पर स्वच्छ पानी, लेवल 1 फीट बढ़ाया सोमतीर्थ कुंड पर पहली बार इतनी व्यवस्थाएं

उज्जैन। पिछले माह शनिश्चरी अमावस्या पर त्रिवेणी घाट पर स्नान के लिये पहुंचे श्रद्धालुओं को प्रशासन की अनदेखी के कारण भारी अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा था। इसकी शिकायत भोपाल तक पहुंची तो संभागायुक्त व कलेक्टर का तबादला कर दिया गया। इससे सबक लेकर प्रशासन द्वारा सोवमती अमावस्या पर्व स्नान के लिये पिछले 15 दिनों से तैयारियां प्रारंभ कर दीं जिसका परिणाम यह हुआ कि रामघाट पर स्वच्छ पानी के साथ सोमतीर्थ कुंड की सफाई, पुताई के साथ यहां फव्वार आदि इंतजाम पूर्ण कर लिये गये हैं। अब श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के आसानी से दोनों स्थानों पर पर्व स्नान कर सकते हैं।
यह हैं रामघाट पर इंतजाम
शिप्रा नदी के रामघाट पर श्रद्धालु पर्व स्नान करते हैं। लोगों की सुविधा के लिये राणोजी की छत्री पर नगर निगम द्वारा कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। यहीं पर मेडिकल टीम भी मौजूद रहेगी। श्रद्धालुओं को स्नान के बाद कपड़े बदलने के लिये चेंजिंग रूम, रामघाट और दत्त अखाड़ा घाट तरफ चलित शौचालय, पीने के पानी के लिये पेयजल टैंकर रखे गये हैं। इसके अलावा होमगार्ड के जवान, तैराक दल और नगर निगम के कर्मचारी जीवन रक्षक यंत्रों के साथ रामघाट छोटी रपट के दोनों ओर नावों के साथ तैनात कर दिये गये हैं ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना न हो।

यह हैं सोमतीर्थ कुंड पर इंतजाम : सोमवती अमावस्या पर्व स्नान का महत्व सोमतीर्थ कुंड पर है। श्रद्धालुओं की भीड़ का दबाव यहीं रहेगी। पीएचई विभाग द्वारा 15 दिनों पहले से कुंड को खाली कर सफाई की गई साथ ही पुताई भी करा दी गई। इसमें मिलने वाले सदावल नाले के पानी को पाल बनाकर रोक दिया गया है। ट्यूबवेलों को फव्वारों से जोड़कर कुंड में साफ व स्वच्छ पानी भर दिया गया है। इसके अलावा श्रद्धालु फव्वारों में भी स्नान कर सकते हैं। यहां पर पीएचई और नगर निगम के दो अलग-अलग कंट्रोल रूम बनाये गये हैं। पूरे क्षेत्र पर नजर रखने के लिये सीसीटीवी कैमरे भी स्थापित किये गये हैं। महिलाओं को कपड़े बदलने के लिये टेंट का चेंजिंग रूम बनाने के साथ ही दो चलित शौचालय, पीने के लिये पेयजल के दो टेंकर अलग-अलग स्थानों पर खड़े किये गये हैं। श्रद्धालु आसानी से सोमतीर्थ कुंड तक पहुंच सकें इसलिये कालिदास उद्यान तिराहा, बड़े पुल से मार्ग संकेतक व होर्डिंग्स भी लगाये गये हैं। श्रद्धालुओं का आगमन व निर्गम बेरिकेट्स के बीच से रहेगा। कुंड के दूसरी ओर भी श्रद्धालु स्नान करते हैं। उस जगह पर गिट्टी की चूरी डालकर फर्शियां लगाने के बाद पानी भरा गया है ताकि श्रद्धालुओं को कीचड़ का सामना न करना पड़े।

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