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रुद्रेश्वर स्वरूप में महाकाल ने जाना प्रजा का हाल:गोपाल मंदिर पर हरि-हर का मिलन, 3 लाख से ज्यादा भक्तों ने किए बाबा के दर्शन
सावन के आखिरी और 8वें सोमवार पर सोम प्रदोष का संयोग रहा। इस पावन अवसर पर उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के जयकारों से गूंज उठा। शाम 4 बजे भगवान महाकाल की सवारी निकाली गई। बाबा रुद्रेश्वर स्वरूप में भक्तों को दर्शन देने निकले। करीब 5 बजे रामघाट पहुंचने पर सवारी का पूजन-अभिषेक किया गया।
रामघाट से निकलकर शाम 6:40 बजे सवारी गोपाल मंदिर पहुंची। मंदिर के पुजारी ने बाबा का पूजन किया। श्रद्धालुओं ने जयघोष कर सवारी की अगवानी की। यहां हरि-हर मिलन का अद्भुत नजारा देखने को मिला। यहां से रात करीब 7:30 बजे सवारी वापस महाकाल मंदिर पहुंची। यहां भगवान की रजत प्रतिमाओं का पूजन-अभिषेक कर सवारी को विराम दिया गया।
सवारी में हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिव तांडव, नंदी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होलकर स्टेट के मुखारविंद, एक नवीन रथ पर घटाटोप स्वरूप, दूसरे नवीन रथ पर श्री जटाशंकर और एक अन्य रथ पर नए स्वरूप श्री रुद्रेश्वर नया सप्तधान मुखारविंद विराजमान थे।
बाबा की सवारी निकलने से पहले सभा मंडप में कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, महापौर मुकेश टटवाल और मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने पूजन किया। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने पालकी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। पालकी के स्वागत के लिए सड़कों को रंगोली बनाकर सजाया गया था। जगह-जगह बाबा महाकाल का स्वागत किया गया। सवारी में महिलाएं और पुरुष डीजे की धुन पर नाचते-गाते चल रहे थे। झांकियां भी सजाई गई थी।
अब भादौ महीने की सवारी 4 सितंबर और अंतिम शाही सवारी 11 सितंबर को निकलेगी।
सीएम शिवराज ने किया अभिषेक, भस्म आरती में शामिल हुए जयवर्धन सिंह
दोपहर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पत्नी साधना सिंह ने महाकाल का दुग्धाभिषेक किया। मुख्यमंत्री ने महाकाल लोक में दूसरे चरण में हो रहे कामों को भी देखा। उन्होंने कहा, ‘सब सुखी रहें, निरोग रहें, सबका मंगल और कल्याण हो, महाकाल के चरणों में यही प्रार्थना की।’ पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता जयवर्धन सिंह भस्म आरती में शामिल हुए। नंदी हॉल में बैठकर भगवान महाकाल का आशीर्वाद लिया।
महाकालेश्वर मंदिर के पट तड़के 2.30 बजे खोले गए थे। सबसे पहले भगवान महाकाल को भस्म अर्पित कर पंचामृत अभिषेक पूजन किया गया। भांग, चंदन, अबीर के साथ मस्तक पर त्रिपुंड और आभूषण अर्पित किए गए। दिव्य श्रृंगार कर भस्म आरती हुई। भस्म आरती के लिए रात 12 बजे से भक्त कतार में लगना शुरू हो गए थे। मंदिर प्रशासन के मुताबिक रात करीब 8 बजे तक 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन का पुण्य लाभ लिया।
भांग, चंदन, अबीर से महाकाल का दिव्य स्वरूप में श्रृंगार
भस्म आरती में भगवान महाकाल का पहला पूजन किया गया। पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित प्रतिमाओं का जलाभिषेक किया। इसके बाद दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से बने पंचामृत से भगवान महाकाल का पूजन किया। हरि ओम जल चढ़ाकर कपूर आरती की। भांग, चंदन अबीर से महाकाल का दिव्य स्वरूप में श्रृंगार किया गया। इसके बाद कपड़े से ढंककर भस्मी रमाई गई। आखिर में विशेष भस्म आरती की गई।