‘लालची’ एंबुलेंस वालों की करतूत:मरीज गंभीर है, घर से अस्पताल तक लाइफ सपोर्ट की एंबुलेंस का किराया 6 हजार

कोरोना संक्रमण काल में मरीजों के बढ़ने का फायदा एम्बुलेंस संचालक उठा रहे हैं। उन्होंने एम्बुलेंस का किराया चार से छह गुना तक बढ़ा दिया है। लोकल में ही यानी घर से हॉस्पिटल या शहर के एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल में मरीज को ले जाने के 2000 से 3000 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। यदि मरीज को इंदौर रोड की किसी कॉलोनी से आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ले जाना है तो पहले वहां बेड की व्यवस्था करो फिर एम्बुलेंस बुक करवाओ। इसके लिए मरीज को 2000 से 3000 हजार रुपए तक का भुगतान करना होगा। उसके बाद करीब 30 मिनट के अंतराल में एम्बुलेंस उपलब्ध हो पाएगी। कार्डियक एम्बुलेंस का तो 6000 रुपए तक चार्ज किया जा रहा है।

कोरोना संक्रमण काल के पहले स्थानीय स्तर पर एम्बुलेंस के 400 से 500 रुपए लिए जाते थे। अब ऑक्सीजन की कीमत बढ़ने के नाम पर मनमाना किराया बढ़ा दिया गया है। पहले ऑक्सीजन के 100 रुपए लगते थे अब ऑक्सीजन भरवाने के 500 रुपए लग रहे हैं। ऐसे में मरीजों पर इलाज के अलावा अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ गया है। कुछ एम्बुलेंस चालक तो नार्मल एम्बुलेंस के 3000 रुपए तक वसूल रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को शिफ्ट करने के एवज में एम्बुलेंस संचालकों को 10 से 20 प्रतिशत तक कमिशन भी मिलता है। एम्बुलेंस संचालकों का कहना है कि मरीज को हॉस्पिटल शिफ्ट करने में समय लगता है। सीटी स्कैन या अन्य जांच करवाने के दौरान भी एम्बुलेंस आधे से एक घंटे तक सेंटर के बाहर खड़ी रहती है।

एम्बुलेंस का इतना ज्यादा किराया, संचालक बोला- मार्केट में यही चल रहा है

भास्कर ने सोमवार को एम्बुलेंस संचालक राकेश देवतवाल के मोबाइल नंबर 8959083007 पर संपर्क कर पूछा कि इंदौर रोड स्थिति प्रीति परिसर से मरीज को आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज ले जाना है, कितना किराया लोगे। संचालक का जवाब था, ज्यादा किराया नहीं लेंगे, जो मार्केट में चल रहा है, वही लेंगे। एम्बुलेंस अभी व्यस्त चल रही है, आ-जा रही है। अभी कहीं मरीज को छोड़ने गई है पर थोड़ी देरी से मिल जाएगी। हॉस्पिटल में पहले बेड की व्यवस्था कर लें। कंफर्म हो जाए तो बता देना, एम्बुलेंस भेज देंगे। लाइफ स्पोर्ट कार्डियक एम्बुलेंस चाहिए तो 6000 रुपए लगेंगे, जिसमें डॉक्टर व स्टॉफ आदि रहेंगे। नार्मल एम्बुलेंस चाहिए तो 2000 रुपए देना होंगे, जिसमें स्टॉफ नहीं होगा केवल छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर रहेगा।

पड़ोस के शहर और राजधानी में तय,यहां नियंत्रण नहीं

एंबुलेंस से मरीजों को शिफ्ट करने के नाम पर की जा रही वसूली को लेकर प्रदेश सरकार फैसला ले चुकी है। किराया भी तय है। इसके अलावा भोपाल और इंदौर में भी एंबुलेंस वालों की लूट पर सख्ती की जा चुकी है। वहां शव वाहन तक का किराया तय है, लेकिन उज्जैन में इस पर किसी की नजर नहीं है।

मामला-1; होम केयर में रखे गए मरीज को इंदौर रोड स्थित कॉलोनी से आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज ले जाना था, जिसके मरीज के परिजनों से 3000 रुपए लिए गए। एम्बुलेंस की व्यवस्था मरीज की केयर कर रहे नर्सिंग स्टॉफ ने करवाई थी।

मामला-2; ऋषिनगर में रहने वाले परिवार ने सोमवार को ही एम्बुलेंस संचालक से संपर्क कर मरीज को हॉस्पिटल ले जाने की बात कही तो उसने कहा, छोटी एम्बुलेंस के 3000 हजार और बड़ी एम्बुलेंस के 6000 रुपए देना होंगे।

रोकस से संचालित एम्बुलेंस का एक तरफ का किराया 300 रुपए

रोगी कल्याण समिति (रोकस) की ओर से संचालित एम्बुलेंस का लोकल में एक तरफ का किराया 300 रुपए लिया जाता है। दोनों तरफ के 600 रुपए लिए जाते हैं। इंदौर के 1500 रुपए लिए जा रहे हैं, जिसकी बाकायदा रोकस कार्यालय से रसीद दी जाती है। जब यहां की एंबुलेंंस इतना कम किराया ले रही है, तो अन्य एंबुलेंस पर नियंत्रण क्यों नहीं किया जा रहा?
मानवता…और इधर मुफ्त में दे रहे एम्बुलेंस

शहर के युवा इंजीनियर जनक मांडे और उनके साथी चेतन परांजपे व सौम्या माहेश्वरी द्वारा मरीजों के लिए शहर में मुफ्त में एम्बुलेंस का संचालन किया जा रहा है। एम्बुलेंस संचालकों ने तीन शिफ्ट में तीन ड्रायवर रखे हुए हैं ताकि मरीजों को 24 घंटे एम्बुलेंस उपलब्ध हो सके। एम्बुलेंस पुलिस कंट्रोल रूम परिसर में खड़ी रहती है, मरीज या उनके परिजन का कॉल आने पर मौके पर पहुंच जाती है।

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