विवि 3 माह में देता है डिग्री, लेकिन 2015 के विद्यार्थियों को अब तक नहीं मिली

उज्जैन | विक्रम विश्वविद्यालय के डिग्री विभाग का काम सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। विक्रम विवि ने अपनी विभागीय व्यवस्था में सुधार किया, लेकिन अब प्रिंट करने वाली एजेंसी की अव्यवस्थाओं से काम पिछड़ रहा है। विवि प्रशासन ने वर्ष २०१५ की डिग्री पर कुलपति के डिजिटल हस्ताक्षर की व्यवस्था की है। पहली बार लागू हो रही व्यवस्था के चलते डिग्री का काम पिछड़ गया है। दरअसल, सभी डिग्री प्रिंट होकर आ गई है और इनकी जांच हो चुकी हैं। इसके बाद डिग्री पर डिजिटल हस्ताक्षर होने के लिए जाएगी।
विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को डिग्री तीन माह के अंदर प्रदान करने का समय निर्धारित है। विभिन्न कारणों से लगातार डिग्री का काम पिछड़ रहा है। वर्ष २०१५ के विद्यार्थियों को अब तक डिग्री नहीं मिली है। विदेश जाने वाले व प्रदेश के बाहर जाने वाले विद्यार्थियों को डिग्री की आवश्यकता होती है। एेसे में विद्यार्थी प्रोविजनल डिग्री से काम चला रहे हैं। हालांकि इसके लिए विद्यार्थियों को अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है।

लगातार उजागर हो रही डिग्री की गड़बड़ी

विक्रम विवि में लंबे समय से डिग्री प्रिंट का काम सतना की एजेंसी के पास है, लेकिन एजेंसी की गड़बड़ी का सामना कर्मचारियों को करना पड़ रहा है। विवि में गत दीक्षांत समारोह में एजेंसी ने गलत संवत् छाप दिया। कर्मचारियों ने ध्यान नहीं दिया और बड़ी गड़बड़ी हो गई। इसी के साथ एजेंसी डिग्री प्रिंट करने में जमकर गड़बड़ी कर रही है। विवि के कर्मचारी इन गड़बड़ी को पकड़ रहे है और सुधार कर रहे है। सवाल यह है कि निजी एजेंसी की गड़बड़ी को कब तक कर्मचारी सुधारेंगे। साथ ही अगर जर भी चूक हुई। तो कर्मचारी पर गाज गिर जाती है। पूर्व में तीन कर्मचारी निलंबित हो चुके हैं। जो कई माह बाद बहाल हुए। दीक्षांत के समय गलत प्रिंट डिग्री को यह जांच नहीं पाए थे।

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